दक्षिण एशिया में बढ़ता तनाव: पाकिस्तान की युद्ध की धमकियां और भारत का जवाब
दक्षिण एशिया में तनाव का बढ़ता माहौल
नई दिल्ली: दक्षिण एशिया में तनाव की स्थिति तेजी से बढ़ रही है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने हाल ही में भारत और अफगानिस्तान के प्रति कड़े बयान दिए हैं। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि अफगानिस्तान के साथ शांति वार्ता सफल नहीं होती है, तो पाकिस्तान 'खुला युद्ध' करने से नहीं हिचकेगा। इसके साथ ही, उन्होंने तालिबान पर भारत का एजेंट होने का आरोप भी लगाया। लेकिन क्या पाकिस्तान वास्तव में 'ढाई मोर्चों' (भारत, अफगानिस्तान और बलूचिस्तान) पर युद्ध लड़ने की क्षमता रखता है?
अक्टूबर 2025 से तनाव की शुरुआत
तनाव की शुरुआत अक्टूबर 2025 में हुई, जब पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के विभिन्न प्रांतों में हवाई हमले किए। पाकिस्तानी सेना का कहना था कि इन हमलों का लक्ष्य तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के ठिकाने थे, जो पाकिस्तान के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों में संलग्न है।
हालांकि, तालिबान सरकार ने इन हमलों को 'सीमा पार आक्रमण' करार दिया और इसका विरोध किया। इसके बाद, दोनों देशों के बीच सीमाओं पर गोलीबारी का सिलसिला जारी रहा।
तालिबान और पाकिस्तान के बीच तनाव
तालिबान का आरोप है कि पाकिस्तान आतंकियों को सौंपने के बदले सीमा पार आतंक फैलाने की कोशिश कर रहा है। वहीं, पाकिस्तान का कहना है कि उसके दुश्मन अफगानिस्तान में छिपे हुए हैं। 25 अक्टूबर को ख्वाजा आसिफ ने कहा कि यदि शांति वार्ता विफल होती है, तो पाकिस्तान युद्ध के लिए तैयार है।
भारत के प्रति पाकिस्तान की बयानबाजी
28 अक्टूबर को एक टीवी इंटरव्यू में आसिफ ने आरोप लगाया कि भारत अफगान तालिबान के साथ मिलकर काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि काबुल में बैठे नेता भारत के इशारों पर काम कर रहे हैं।
भारत ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि पाकिस्तान अपनी असफलताओं के लिए दूसरों को दोष देता है।
पाकिस्तान की आंतरिक चुनौतियां
पाकिस्तान की सेना की वास्तविक क्षमता सीमित है। देश की अर्थव्यवस्था संकट में है, और महंगाई दर 25% से ऊपर है। विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान के लिए दो मोर्चों पर युद्ध लड़ना मुश्किल होगा।
रणनीतिक विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान की 'दो मोर्चों की रणनीति' अब उसके खिलाफ जा रही है। रिटायर्ड मेजर जनरल महमूद दुर्रानी का कहना है कि पाकिस्तान की आंतरिक अस्थिरता बढ़ रही है।
भविष्य की संभावनाएं
फिलहाल, इस्तांबुल में तीसरी बैठक की तैयारी चल रही है। यदि वार्ता विफल होती है, तो सीमा पर तनाव और बढ़ सकता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि युद्ध किसी के हित में नहीं है।