दिल्ली में 260 करोड़ रुपये की साइबर ठगी का भंडाफोड़: ED की बड़ी कार्रवाई
प्रवर्तन निदेशालय की छापेमारी
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने एक अंतरराष्ट्रीय साइबर धोखाधड़ी नेटवर्क के खिलाफ कार्रवाई करते हुए बुधवार को दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और उत्तराखंड के 11 स्थानों पर छापे मारे। इस धोखाधड़ी का अनुमानित नुकसान 260 करोड़ रुपये है, जिसमें भारतीय और विदेशी नागरिकों को निशाना बनाया गया है.
धनशोधन निवारण अधिनियम के तहत कार्रवाई
ED ने यह कार्रवाई दिल्ली पुलिस और सीबीआई की एफआईआर के आधार पर धनशोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत की। छापे दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम और देहरादून में किए गए। आरोपियों ने खुद को जांच अधिकारी या पुलिस बताकर लोगों को गिरफ्तार करने की धमकी दी और टेक सपोर्ट एजेंट (Microsoft और Amazon) बनकर ठगी की.
क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग
आरोपियों ने पीड़ितों से प्राप्त धन को पहले क्रिप्टोकरेंसी में परिवर्तित किया और फिर उसे विभिन्न वॉलेट्स में भेज दिया। प्रवर्तन निदेशालय के अनुसार, लगभग 260 करोड़ रुपये के बिटकॉइन को यूएई के हवाला ऑपरेटरों के माध्यम से USDT में बदलकर नकद में तब्दील किया गया.
गिरोह की पेशेवर रणनीति
इससे पहले, 26 जून को सीबीआई ने मुंबई और अहमदाबाद में छापेमारी कर इस गिरोह के मास्टरमाइंड प्रिंस जशवंतलाल आनंद को गिरफ्तार किया था, जो अमेरिका और कनाडा के नागरिकों को ठगने में शामिल था.
गिरोह का तरीका अत्यंत पेशेवर था। आरोपी सरकारी अधिकारियों के नाम पर फर्जी नोटिस भेजते थे और कानूनी कार्रवाई की धमकी देते थे। 25 जून को ED ने गुजरात और महाराष्ट्र में 100 करोड़ की साइबर धोखाधड़ी के मामले में भी छापेमारी की थी.
मुख्य आरोपियों की पहचान
मुख्य आरोपी मकबूल डॉक्टर, काशिफ डॉक्टर, बसम डॉक्टर, महेश देसाई और मज अब्दुल रहीम नदा हैं, जिन्होंने USDT घोटाले, फर्जी नोटिस और गिरफ्तारी की धमकियों के जरिए लोगों से ठगी की.