दिल्ली में कांवड़ यात्रा: श्रद्धालुओं की भीड़ से परेशान स्थानीय निवासी
कांवड़ यात्रा का बढ़ता दबाव
सावन के महीने में कांवड़ यात्रा के दौरान दिल्ली की सड़कों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी जा रही है। हालांकि, इस धार्मिक उत्सव के बीच स्थानीय लोग बूम बॉक्स की तेज आवाज, ट्रैफिक जाम और रात के समय होने वाले शोर से काफी परेशान हैं। खासकर दक्षिण, दक्षिण-पूर्वी, पूर्वी और दक्षिण-पश्चिमी जिलों में स्थिति गंभीर हो गई है, जहां रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशनों ने स्वास्थ्य और मानसिक शांति पर प्रभाव को लेकर चिंता जताई है.
दिल्ली पुलिस की तैयारी
दिल्ली पुलिस का कहना है कि उन्होंने हर जिले में उचित इंतजाम किए हैं, लेकिन शुक्रवार से अब तक शोर और ट्रैफिक को लेकर लगभग 200 शिकायतें दर्ज की जा चुकी हैं। कई इलाकों में लोगों का आरोप है कि पुलिस की मौजूदगी के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है.
दक्षिण-पूर्वी दिल्ली में बूम बॉक्स की समस्या
दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी, महारानी बाग और आश्रम क्षेत्रों में बड़ी संख्या में कांवड़ यात्री गुजर रहे हैं। निवासियों का कहना है कि ये श्रद्धालु तेज आवाज में डीजे और बूम बॉक्स बजाते हैं, जिससे विद्यार्थियों की पढ़ाई और बुजुर्गों की नींद प्रभावित हो रही है.
पुलिस का प्रयास
दक्षिण-पूर्वी जिले के पुलिस उपायुक्त हेमंत तिवारी ने कहा, "हम कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं। कुछ शिकायतें आती हैं, लेकिन पिछले साल की तुलना में कोई खास बढ़ोतरी नहीं हुई है। हमने समर्पित कॉरिडोर बनाए हैं और तीन शिफ्टों में लगभग 200 कर्मियों को तैनात किया है।"
कॉलोनियों में कांवड़ियों का प्रवेश
दक्षिण दिल्ली के निवासियों का कहना है कि कई कांवड़िये मुख्य सड़कों को छोड़कर रात के समय कॉलोनी की गलियों से गुजरते हैं। इससे अचानक तेज शोर और ट्रैफिक का सामना करना पड़ता है, जो विशेष रूप से बच्चों और बुजुर्गों के लिए परेशानी का कारण बनता है.
शिकायतों में वृद्धि, कार्रवाई की कमी
पुलिस के अनुसार, केवल दक्षिण-पूर्वी दिल्ली में प्रतिदिन औसतन 10 शिकायतें दर्ज की जा रही हैं, जिनमें शोर और ट्रैफिक की समस्या प्रमुख है। हालांकि, कई निवासी मानते हैं कि पुलिस केवल औपचारिकता निभा रही है, असली नियंत्रण नजर नहीं आता.
धार्मिक आस्था और सामाजिक संतुलन
सावन के महीने में कांवड़ यात्रा एक महत्वपूर्ण धार्मिक परंपरा है, लेकिन इसके संचालन में सामाजिक संतुलन बनाए रखना भी आवश्यक है। तेज आवाज, ट्रैफिक जाम और कॉलोनियों में रात का उत्पात श्रद्धा की गरिमा को कम करता है और स्थानीय लोगों की मानसिक शांति भंग करता है.