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नेपाल में सोशल मीडिया बैन के खिलाफ प्रदर्शन: क्या है 'Gen Z' का गुस्सा?

नेपाल में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के खिलाफ 'Gen Z' का प्रदर्शन तेजी से बढ़ रहा है। काठमांडू में युवाओं का आक्रोश हिंसक रूप ले चुका है, जिसमें कई राजनीतिक नेताओं पर हमले हुए हैं। प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा और उनकी पत्नी पर भी हमला किया, जिससे स्थिति और बिगड़ गई। राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने सोशल मीडिया बैन हटाने की घोषणा की, लेकिन प्रदर्शन जारी हैं। जानें इस आंदोलन के पीछे की वजहें और युवाओं की बेरोजगारी की समस्या।
 

नेपाल में बढ़ते प्रदर्शन

नेपाल में विरोध प्रदर्शन: नेपाल में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के खिलाफ शुरू हुआ 'Gen Z' का आंदोलन अब गंभीर रूप ले चुका है। काठमांडू सहित विभिन्न क्षेत्रों में युवाओं का आक्रोश हिंसक हो गया है, जिसमें राजनीतिक नेताओं और उनके परिवारों को भी नहीं बख्शा गया। प्रदर्शनकारियों ने पांच बार के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा और उनकी पत्नी, विदेश मंत्री अर्जुना राणा देउबा पर हमला किया, जबकि पूर्व प्रधानमंत्री झलानाथ खनाल की पत्नी राजलक्ष्मी चित्रकार की जलने से मौत हो गई।


हिंसक झड़पें और नेताओं पर हमले

सोमवार को पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़प में 19 लोगों की जान चली गई। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद भी स्थिति में सुधार नहीं हुआ। मंगलवार को गुस्साई भीड़ ने सरकारी इमारतों और नेताओं के निवास को आग के हवाले कर दिया।


नेताओं पर हमले और आगजनी

सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में देखा गया कि शेर बहादुर देउबा और उनकी पत्नी अर्जुना राणा देउबा को भीड़ ने पीटकर गंभीर रूप से घायल कर दिया। दोनों के खून से लथपथ होने की तस्वीरें सामने आईं। एक वीडियो में कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं को देउबा को सुरक्षित बाहर निकालते हुए देखा गया। नेपाली कांग्रेस देश की सबसे बड़ी पार्टी है और सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा भी है।


ओली के इस्तीफे के बाद भी गुस्सा जारी

केपी शर्मा ओली के निजी आवास को भी प्रदर्शनकारियों ने सोमवार रात जला दिया। राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल, पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड', संचार मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुङ और पूर्व गृह मंत्री रमेश लेखख के घरों और दफ्तरों पर भी हमले हुए। हालात बिगड़ने पर नेपाली सेना और सुरक्षा एजेंसियों के शीर्ष अधिकारियों ने युवाओं से संयम बरतने और संवाद के जरिए समाधान निकालने की अपील की।


सोशल मीडिया बैन का असर

सरकार द्वारा फेसबुक, एक्स और यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को ब्लॉक करने के बाद ये विरोध शुरू हुआ। सरकार का कहना था कि कंपनियां पंजीकरण और नियमन के दायरे में आने से बच रही थीं। हालांकि, यह आंदोलन महज सोशल मीडिया बैन तक सीमित नहीं रहा और भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और राजनीतिक परिवारवाद के खिलाफ बड़े जनाक्रोश में बदल गया।


नेपो किड्स और बेरोजगारी का मुद्दा

प्रदर्शन कर रहे युवाओं का कहना है कि नेताओं के बच्चों, जिन्हें 'नेपो किड्स' कहा जाता है, को विशेषाधिकार मिलते हैं, जबकि आम युवाओं को रोजगार तक नहीं मिल रहा। विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल नेपाल में युवाओं की बेरोजगारी दर 20 प्रतिशत थी। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, रोजाना लगभग 2,000 युवा काम की तलाश में मध्य-पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया की ओर पलायन कर रहे हैं।


राष्ट्रपति की अपील

राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने मंगलवार को सोशल मीडिया बैन हटाने की घोषणा की, लेकिन इसके बावजूद प्रदर्शन जारी रहे। उन्होंने युवाओं से शांति और संवाद का रास्ता अपनाने की अपील की। उन्होंने ओली का इस्तीफा स्वीकार कर उन्हें अंतरिम सरकार का प्रमुख नियुक्त किया, हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि इस समय ओली के पास वास्तविक शक्ति कितनी है और वे कहां मौजूद हैं।