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पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस का निजीकरण: आर्थिक संकट में बड़ा कदम

पाकिस्तान ने अपनी राष्ट्रीय एयरलाइन, पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस (PIA), का निजीकरण किया है, जो देश की बिगड़ती आर्थिक स्थिति का संकेत है। इस प्रक्रिया में 135 अरब रुपये में एक स्थानीय निवेश कंसोर्टियम को सौंपा गया है। यह सौदा पाकिस्तान के निजीकरण इतिहास में सबसे बड़ा माना जा रहा है। जानें इस प्रक्रिया के पीछे की वजहें और इसके संभावित प्रभाव।
 

पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति में गंभीरता


नई दिल्ली: पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। आईएमएफ और अन्य मित्र देशों से मिली सहायता भी देश को संकट से उबारने में असफल रही है। इस गंभीर स्थिति के चलते शहबाज शरीफ की सरकार को अपनी राष्ट्रीय धरोहर मानी जाने वाली एयरलाइन, पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस (PIA), को बेचने का निर्णय लेना पड़ा है।


PIA के निजीकरण की प्रक्रिया पूरी

पाकिस्तान ने मंगलवार को अपने राष्ट्रीय ध्वज वाहक के निजीकरण की प्रक्रिया को औपचारिक रूप से पूरा किया। इस सौदे में 135 अरब रुपये में PIA को एक स्थानीय निवेश कंपनी के नेतृत्व वाले कंसोर्टियम को सौंपा गया है, जिसे पाकिस्तान के निजीकरण के इतिहास में सबसे बड़े सौदों में से एक माना जा रहा है।


बोली प्रक्रिया का आयोजन

PIA के निजीकरण की औपचारिकता इस्लामाबाद में आयोजित की गई, जहां लकी सीमेंट, प्राइवेट एयरलाइन एयरब्लू और निवेश फर्म आरिफ हबीब ने अपनी सीलबंद बोलियां प्रस्तुत कीं। जब बोलियां खोली गईं, तो आरिफ हबीब ग्रुप सबसे बड़े बोलीदाता के रूप में उभरा।


आरिफ हबीब ग्रुप ने जीती बोली

बोली खुलने के बाद, पाकिस्तान सरकार ने बताया कि PIA के लिए रेफरेंस प्राइस 100 अरब रुपये निर्धारित किया गया था। नियमों के अनुसार, सबसे अधिक बोली लगाने वाले दो दावेदारों को अंतिम मुकाबले का अवसर मिला। आरिफ हबीब और लकी सीमेंट के बीच कड़ा मुकाबला हुआ, जिसमें आरिफ हबीब ग्रुप ने 135 अरब रुपये की बोली लगाई।


सरकार की योजना

रिपोर्टों के अनुसार, सरकार ने पहले PIA की 75 प्रतिशत हिस्सेदारी बिक्री के लिए पेश की थी। सफल बोली लगाने वाले को शेष 25 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने के लिए 90 दिन का समय दिया जाएगा। नियमों के अनुसार, 75 प्रतिशत हिस्सेदारी की बिक्री से प्राप्त राशि का 92.5 प्रतिशत एयरलाइन में पुनर्निवेश के लिए उपयोग किया जाएगा।


बोली प्रक्रिया का लाइव प्रसारण

पारदर्शिता बनाए रखने के लिए, पाकिस्तान सरकार ने पूरी बोली प्रक्रिया को स्थानीय टेलीविजन चैनलों पर लाइव प्रसारित किया। यह PIA को बेचने का दूसरा प्रयास था, क्योंकि पिछले साल भी निजीकरण की कोशिश की गई थी, लेकिन अपेक्षित कीमत न मिलने के कारण सौदा टल गया था।


PIA का ऐतिहासिक सफर

शहबाज शरीफ ने कहा है कि PIA का यह सौदा पाकिस्तान के इतिहास का सबसे बड़ा लेन-देन साबित होगा। एक समय था जब PIA दुनिया की प्रमुख एयरलाइनों में शामिल थी, लेकिन वर्षों की खराब प्रबंधन और आर्थिक घाटे ने इसकी साख को बुरी तरह प्रभावित किया। अब सरकार के पास इसे बेचने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा।