पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच बढ़ता तनाव: तालिबान की नई मांगें
पाक-अफगान तनाव की नई परतें
नई दिल्ली: पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तनाव एक बार फिर से बढ़ गया है। तालिबान सरकार के उप गृहमंत्री मोहम्मद नाबी उमरी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि अब अफगानिस्तान को डूरंड लाइन के पार की अपनी भूमि वापस लेनी चाहिए। उनका यह बयान दोनों देशों के बीच पहले से चल रहे विवाद को और बढ़ा सकता है।
हाल ही में तुर्की में तालिबान और पाकिस्तान के बीच हुई वार्ता बिना किसी नतीजे के समाप्त हुई। तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्ला मुजाहिद ने बताया कि पाकिस्तान चाहता था कि सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी अफगान सरकार ले, जबकि खुद कोई जिम्मेदारी नहीं लेना चाहता। इस पर तालिबान ने वार्ता को असफल करार दिया। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान अपनी भूमि का उपयोग किसी अन्य देश को नुकसान पहुंचाने के लिए नहीं करेगा, लेकिन अपनी सीमाओं की रक्षा के लिए पूरी तरह तैयार है।
ख्वाजा आसिफ का बयान
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने हाल ही में कहा था कि यदि टीटीपी का हमला होता है, तो पाकिस्तान अफगानिस्तान में कार्रवाई करेगा। इस पर तालिबान ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि अफगानिस्तान पर किसी भी हमले का जवाब वैसा ही दिया जाएगा जैसा सोवियत संघ और अमेरिका को दिया गया था।
डूरंड लाइन पर तालिबान का रुख
उमरी ने खोश्त प्रांत में एक कार्यक्रम में कहा कि डूरंड लाइन के पार जो क्षेत्र अफगानिस्तान ने खोए थे, उन्हें वापस लेने का समय आ गया है। अफगानिस्तान की सरकार इस सीमा रेखा को मान्यता नहीं देती, और उनका कहना है कि पेशावर से सटा बड़ा इलाका अफगानिस्तान का हिस्सा होना चाहिए।
ग्रेटर अफगानिस्तान की मांग
तालिबान की 'ग्रेटर अफगानिस्तान' की परिकल्पना में पाकिस्तान के कई हिस्से शामिल हैं, जैसे खैबर पख्तूनख्वा, गिलगित-बाल्टिस्तान और बलूचिस्तान। हाल ही में एक कार्यक्रम में उमरी को ग्रेटर अफगानिस्तान का नक्शा सौंपा गया, जिसमें डूरंड लाइन को मिटाकर पाकिस्तान के कुछ हिस्सों को अफगानिस्तान में दर्शाया गया।
तालिबान के आरोप
तालिबान का दावा है कि पाकिस्तान की सेना अमेरिका और डोनाल्ड ट्रंप के निर्देशों पर काम कर रही है। उमरी ने कहा कि टीटीपी को अफगानिस्तान ने न तो बनाया है और न ही उसका समर्थन किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि पाकिस्तान के कुछ पश्तून नेता समझौते का विरोध कर रहे हैं क्योंकि उन्हें डर है कि इससे उनकी लोकप्रियता घट सकती है। इस बयान से स्पष्ट है कि तालिबान अब 'ग्रेटर अफगानिस्तान' के पुराने सपने को साकार करने की दिशा में बढ़ रहा है, जो पाकिस्तान के लिए एक बड़ा सिरदर्द बन सकता है।