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पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच बढ़ता संघर्ष: क्या है ड्यूरंड रेखा का सच?

पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच हालिया संघर्ष ने एक गंभीर मोड़ ले लिया है, जिसमें 48 घंटे का संघर्षविराम लागू किया गया है। तालिबान ने सीमावर्ती क्षेत्रों में पाकिस्तानी चौकियों पर कब्जा कर लिया है, जिससे अफगान जनता का समर्थन तालिबान के प्रति बढ़ा है। इस विवाद की जड़ें ड्यूरंड रेखा में हैं, जो दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक तनाव का प्रतीक है। क्या यह संघर्ष एक लंबे और खतरनाक युद्ध में बदल जाएगा? जानें इस जटिल स्थिति के बारे में।
 

पाकिस्तान-अफगानिस्तान संघर्ष का नया मोड़


पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच संघर्ष: हाल के दिनों में पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच का विवाद केवल सीमाई झगड़ा नहीं रह गया है, बल्कि यह एक खुला युद्ध बन चुका है। इस स्थिति को नियंत्रित करने के लिए 48 घंटे का संघर्षविराम लागू किया गया। बुधवार को पाकिस्तानी वायुसेना ने काबुल और कंधार में हवाई हमले किए, जिसमें 15 से अधिक अफगान नागरिकों की जान चली गई और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए। इस हिंसा से पहले, तालिबान ने स्पिन बोल्दाक के सीमावर्ती क्षेत्र में पाकिस्तानी चौकियों पर कब्जा कर लिया था, जिसे स्थानीय लोग 'पाकिस्तानी सैनिकों की खाली पतलून' के प्रतीक के रूप में देख रहे हैं।


तालिबान की कार्रवाई और अफगान समर्थन

पाकिस्तानी फौज की पतलूनें छोड़ गईं बहस
एक अफगान पत्रकार ने नंगरहार प्रांत में तालिबान द्वारा जब्त की गई पाकिस्तानी सेना की वर्दियों और हथियारों की तस्वीरें साझा कीं। उन्होंने लिखा, 'ड्यूरंड रेखा के पास पाकिस्तानी चौकियों से जब्त की गई खाली पतलूनें अब अफगान प्रतिरोध का प्रतीक बन गई हैं।' तालिबान की जवाबी कार्रवाई और पाकिस्तानी सैनिकों की पीछे हटने की घटनाओं ने अफगान लोगों में गुस्से की लहर पैदा कर दी है।


अफगान जनता तालिबान के साथ खड़ी हुई
कंधार के निवासी मोहिबुल्लाह ने कहा कि यदि जरूरत पड़ी, तो वह इस्लामी अमीरात की सेना के साथ युद्धभूमि में शामिल होंगे। पक्तिया के बैतुल्लाह ने कहा कि पाकिस्तान को उचित जवाब दिया गया है और सभी अफगान तालिबान के साथ खड़े हैं। इस समर्थन ने इस संघर्ष को केवल सरकारी सीमा विवाद से बढ़ाकर एक राष्ट्रीय भावना से जुड़े युद्ध में बदल दिया है।


ड्यूरंड रेखा का ऐतिहासिक संदर्भ

विवाद की जड़ ड्यूरंड रेखा
इस संघर्ष की जड़ें ड्यूरंड रेखा में हैं, जिसे ब्रिटिश राज के दौरान भारत और अफगानिस्तान के बीच खींचा गया था। यह रेखा पारंपरिक पश्तून क्षेत्रों को दो भागों में बांटती है और इसे दोनों पक्षों द्वारा पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया गया है। यह सीमा आज भी तनाव का केंद्र बनी हुई है, और इसके आसपास कई हिंसक मुठभेड़ें हो चुकी हैं।


दावे और प्रतिदावे, भारी नुकसान दोनों ओर

दावे और प्रतिदावे, भारी नुकसान दोनों ओर
पाकिस्तान का कहना है कि उसने अफगान तालिबान के 200 से अधिक लड़ाकों को मार गिराया है, जबकि अफगानिस्तान का दावा है कि उसके जवाबी हमलों में 58 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए हैं। सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में तालिबान लड़ाके पाकिस्तानी T-55 टैंक पर कब्जा करते और पाकिस्तानी हथियारों को दिखाते नजर आए। इसके अलावा, तालिबान ने पाकिस्तानी चौकियों पर कब्जा करने के बाद जब्त की गई वस्तुओं को सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित किया।


मध्यस्थता की अपील, लेकिन तनाव बना हुआ

PAK ने मांगी मध्यस्थता, लेकिन तनाव बना हुआ है
बुधवार की शाम पाकिस्तान ने कतर और सऊदी अरब से हस्तक्षेप करने की अपील की। 'खुदा के लिए, अफगानों को युद्ध से रोकिए,' यह अपील पाकिस्तानी अधिकारियों द्वारा की गई थी। हालांकि 48 घंटे का अस्थायी संघर्षविराम लागू किया गया है, लेकिन हालात यह दर्शाते हैं कि युद्ध अभी समाप्त नहीं हुआ है। काबुल की निवासी फरेश्ता ने कहा, 'हम अपने सुरक्षाबलों का आभार व्यक्त करते हैं जो हमेशा हमारी भूमि की रक्षा करते हैं। हम उनके साथ हमेशा खड़े रहेंगे।'


अस्थायी शांति, स्थायी खतरा

अस्थायी शांति, स्थायी खतरा
हालांकि एक नाजुक संघर्षविराम लागू है, लेकिन जमीनी हालात इस ओर संकेत नहीं करते कि यह तनाव जल्दी समाप्त होगा। पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच यह विवाद एक लंबे और खतरनाक संघर्ष का रूप ले सकता है, खासकर जब सीमाएं इतिहास, अस्मिता और वर्तमान राजनीतिक समीकरणों से जटिल रूप से जुड़ी हों। इस क्षेत्र में स्थाई समाधान केवल सैन्य उपायों से नहीं, बल्कि राजनयिक समझ और अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप से ही संभव हो सकता है।