पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच बढ़ते तनाव: युद्धविराम का उल्लंघन और हवाई हमले
पाकिस्तान-अफगानिस्तान संघर्ष की ताजा स्थिति
पाकिस्तान-अफगानिस्तान संघर्ष: पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के पक्तिका प्रांत में हवाई हमले किए हैं, जिसमें अरगुन और बरमल जिलों के आवासीय क्षेत्रों को निशाना बनाया गया। तालिबान के एक अधिकारी ने इन हमलों की पुष्टि करते हुए कहा कि यह युद्धविराम का उल्लंघन है। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान ने पक्तिका में तीन अलग-अलग स्थानों पर बमबारी की है, जिसके जवाब में अफगानिस्तान कार्रवाई करेगा। यह हमले उस समय हुए जब दोनों देशों के बीच अस्थायी युद्धविराम बढ़ाने की चर्चा चल रही थी। यह युद्धविराम दोहा वार्ता तक बढ़ाया गया था।
युद्धविराम के बाद की स्थिति
अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच 48 घंटे का युद्धविराम शुक्रवार शाम को समाप्त होना था। यह समझौता सीमा पर बढ़ती हिंसा के मद्देनजर किया गया था। युद्धविराम का आरंभ बुधवार शाम 6 बजे हुआ, जिससे लगभग एक सप्ताह से जारी संघर्ष को अस्थायी रूप से रोका गया। इन संघर्षों में कई सैनिकों और नागरिकों की जानें गई थीं। लेकिन शनिवार को काबुल में हुए विस्फोटों ने स्थिति को और तनावपूर्ण बना दिया। यह वही समय था जब तालिबान के विदेश मंत्री भारत की ऐतिहासिक यात्रा पर थे। इसके बाद तालिबान ने पाकिस्तान से लगी अपनी दक्षिणी सीमा पर जवाबी हमला शुरू किया, जिसके तुरंत बाद इस्लामाबाद ने कड़ा जवाब देने की चेतावनी दी।
पाकिस्तान और तालिबान के बयान
पाकिस्तानी विदेश कार्यालय के प्रवक्ता शफकत अली खान ने कहा कि यह देखने के लिए 48 घंटे इंतजार करना आवश्यक है कि युद्धविराम लागू होता है या नहीं। उन्होंने इस विषय पर और कोई जानकारी साझा नहीं की। दूसरी ओर, तालिबान अधिकारी युद्धविराम के बाद की स्थिति पर कोई टिप्पणी करने से बचते रहे। पड़ोसी देशों के बीच यह विवाद सुरक्षा चिंताओं पर आधारित है।
पाकिस्तान का आरोप है कि अफगानिस्तान तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के आतंकवादियों को शरण दे रहा है, जबकि अफगान पक्ष इस आरोप को खारिज करता है। खान ने कहा कि पाकिस्तान तालिबान से ठोस और सत्यापन योग्य कार्रवाई की उम्मीद करता है ताकि इन आतंकवादी समूहों को अफगानिस्तान की धरती से निपटाया जा सके।
युद्धविराम से पहले की घटनाएँ
युद्धविराम समाप्त होने से पहले ही पाकिस्तान के उत्तरी वजीरिस्तान जिले में एक घातक हमले में अर्धसैनिक बलों के सात जवान शहीद हो गए। इस हमले की जिम्मेदारी टीटीपी के एक गुट ने ली है। इसके अलावा, मीर अली में बमबारी और बंदूक हमले में कम से कम एक सैनिक की मौत हुई। ये घटनाएँ दर्शाती हैं कि सीमा पर हिंसा अभी भी जारी है और स्थिति गंभीर बनी हुई है।