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पाकिस्तान और इजरायल के रिश्तों में बदलाव: क्या अब्राहम अकॉर्ड की ओर बढ़ रहा है इस्लामाबाद?

पाकिस्तान, जो लंबे समय से इजरायल के खिलाफ रहा है, अब उसके साथ संबंध सामान्य करने की कोशिश कर रहा है। हाल ही में लंदन में दोनों देशों के अधिकारियों के बीच मुलाकात हुई है। अमेरिका का दबाव और गाजा के पुनर्निर्माण की योजनाओं के चलते पाकिस्तान इजरायल को मान्यता देने की दिशा में कदम बढ़ा सकता है। क्या यह बदलाव भारत और ईरान के लिए नई चुनौतियाँ लाएगा? जानें इस महत्वपूर्ण विषय पर पूरी जानकारी।
 

पाकिस्तान का इजरायल के साथ संबंध सामान्य करने का प्रयास


नई दिल्ली: पाकिस्तान, जो लंबे समय से यहूदी समुदाय और इजरायल के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण रखता था, अब धीरे-धीरे इजरायल के साथ अपने संबंधों को सामान्य करने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। बदलते वैश्विक परिदृश्य को देखते हुए यह संभावना जताई जा रही है कि पाकिस्तान अब्राहम अकॉर्ड पर हस्ताक्षर कर सकता है और इजरायल को मान्यता देने वाले देशों की सूची में शामिल हो सकता है। इस संदर्भ में यह सवाल उठता है कि गाजा के मुद्दे पर पाकिस्तान के भावुक बयानों का क्या अब अमेरिकी दबाव और सहायता के सामने कोई महत्व रह गया है?


पाकिस्तान और इजरायल के बीच बढ़ते संपर्क

हाल ही में पाकिस्तान और इजरायल के बीच कई मंचों पर संपर्क बढ़ा है। इसका एक उदाहरण लंदन में आयोजित 'वर्ल्ड ट्रैवल मार्केट' मेले में देखने को मिला, जहां पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के पर्यटन सलाहकार सरदार यासिर इलियास खान और इजरायल के पर्यटन महानिदेशक माइकल इजाकोव के बीच मुलाकात हुई। पहले पाकिस्तान के अधिकारी इजरायली प्रतिनिधियों से मिलने से बचते थे, लेकिन यह पहली बार था जब दोनों देशों के अधिकारी सार्वजनिक रूप से मिले। इससे पहले, पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल असीम मुनीर ने मिस्र में मोसाद और सीआईए अधिकारियों के साथ गुप्त बैठक की थी।


अमेरिकी दबाव के चलते इजरायल के करीब आ रहा पाकिस्तान

सितंबर में, शहबाज शरीफ ने न्यूयॉर्क यात्रा के दौरान अमेरिकन ज्यूइश कांग्रेस के अध्यक्ष से भी मुलाकात की थी। यह माना जा रहा है कि डोनाल्ड ट्रंप का प्रशासन पाकिस्तान पर इजरायल को मान्यता देने का दबाव बना रहा है। इसके साथ ही, गाजा के पुनर्निर्माण की योजना में ट्रंप ने हमास को समाप्त करने का प्रस्ताव रखा है, जिसे पाकिस्तान समर्थन कर सकता है। यही कारण है कि इस्लामाबाद पर आरोप लग रहे हैं कि वह अब्राहम अकॉर्ड 2.0 में शामिल होने के लिए इजरायल के साथ गुप्त बातचीत कर रहा है।


भारत की नजरें इजरायल-पाकिस्तान के रिश्तों पर

इन घटनाओं पर भारत की नजर बनी हुई है। पाकिस्तान ने यह भी कहा है कि वह गाजा में हमास को हथियारों से मुक्त कराने के लिए अपनी सेना भेजने पर विचार कर रहा है। अमेरिकी योजना के तहत, पाकिस्तान दक्षिण-मध्य एशिया की रणनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, जिससे ईरान पर दबाव बढ़ाया जा सके। इसके अलावा, पाकिस्तान ने अमेरिका को पसनी बंदरगाह का उपयोग करने का प्रस्ताव दिया है, जो ग्वादर के निकट स्थित है। इससे ईरान की सुरक्षा चिंताएं बढ़ गई हैं।


अमेरिका का पाकिस्तान के प्रति समर्थन

इसके साथ ही, खबरें हैं कि अमेरिका बलूचिस्तान में दुर्लभ खनिजों की सुरक्षा के नाम पर सैनिक तैनात कर सकता है। अमेरिका पहले ही बलूच लिबरेशन आर्मी को आतंकवादी संगठन घोषित कर चुका है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अमेरिका यहां सैनिक भेजता है, तो बलूचिस्तान एक नए संघर्ष का क्षेत्र बन सकता है, जिससे स्थिति और बिगड़ सकती है।