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पाकिस्तान की कूटनीतिक रणनीति को नोबेल पुरस्कार से झटका

2025 के नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा ने पाकिस्तान की कूटनीतिक रणनीति को बड़ा झटका दिया है। वेनेजुएला की नेता मारिया कोरिना मचाडो को पुरस्कार मिलने से पाकिस्तान की उम्मीदें टूट गई हैं, खासकर जब उसने डोनाल्ड ट्रंप को नामांकित किया था। इस स्थिति ने पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना का सामना करने के लिए मजबूर कर दिया है। जानें इस घटनाक्रम का पाकिस्तान की विदेश नीति और आर्थिक स्थिति पर क्या प्रभाव पड़ा है।
 

नोबेल शांति पुरस्कार 2025: पाकिस्तान की उम्मीदों को लगा धक्का


Nobel Peace Prize 2025: 2025 के नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा ने पाकिस्तान की कूटनीतिक योजनाओं को बड़ा झटका दिया है। इस वर्ष वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरिना मचाडो को यह पुरस्कार मिला, जबकि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को इस दौड़ से बाहर रखा गया। पाकिस्तान ने ट्रंप को शांति समर्थक मानते हुए उन्हें नोबेल के लिए नामांकित किया था, जिससे इस परिणाम ने उसकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।


पाकिस्तान की रणनीति पर असर

पाकिस्तान ने ट्रंप के पक्ष में खुलकर दांव खेला था। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और फील्ड मार्शल आसिम मुनीर ने अगस्त में वॉशिंगटन में ट्रंप से मुलाकात की थी, जिसे पाकिस्तान ने अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों में एक नए अध्याय के रूप में देखा। इस भेंट को पाकिस्तानी मीडिया ने शांति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। लेकिन ट्रंप को नोबेल पुरस्कार न मिलने से पाकिस्तान की यह रणनीति उलट गई है, और अब उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।


नोबेल कमेटी का निर्णय

नोबेल कमेटी ने दावे को किया नजरअंदाज


इस्लामाबाद ने यह दावा किया था कि ट्रंप की मध्यस्थता से भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव कम हुआ था और सीजफायर लागू हुआ। लेकिन नोबेल कमेटी ने इस दावे को नजरअंदाज करते हुए मचाडो को सम्मानित किया, जिससे पाकिस्तान की स्थिति कमजोर हुई। भारत ने पहले ही ट्रंप की मध्यस्थता को खारिज करते हुए कहा था कि संघर्षविराम दोनों देशों के बीच आपसी समझौते का परिणाम था, न कि किसी तीसरे पक्ष की भूमिका का।


पाकिस्तान को आर्थिक झटका

पाकिस्तान को लगा झटका


आर्थिक मोर्चे पर भी पाकिस्तान को झटका लगा है। ट्रंप प्रशासन के साथ तेल और खनिज के क्षेत्र में साझेदारी की उम्मीदें थीं। ट्रंप ने पाकिस्तान के विशाल तेल भंडार का उल्लेख किया था, लेकिन वास्तविकता यह है कि पाकिस्तान के पास दुनिया के कुल तेल भंडार का केवल 0.02 प्रतिशत हिस्सा है। इससे पाकिस्तान की ऊर्जा संबंधी महत्वाकांक्षाएं अधूरी रह गईं।


अमेरिका के करीब आने की कोशिश

अमेरिका के करीब आने की कोशिश


ट्रंप को नोबेल के लिए नामांकित करके पाकिस्तान ने चीन से दूरी बनाकर अमेरिका के करीब आने की कोशिश की थी। इसे एक कूटनीतिक बदलाव के रूप में देखा गया, लेकिन ट्रंप की हार से पाकिस्तान की यह नीति असफल होती दिख रही है। अब पाकिस्तान न केवल अपनी विदेश नीति में असमंजस में है, बल्कि उसे वैश्विक स्तर पर राजनीतिक शर्मिंदगी का भी सामना करना पड़ रहा है।