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पाकिस्तान की खनिज संपदा और अमेरिका के साथ नई रणनीति

पाकिस्तान ने अमेरिका के साथ अपनी खनिज संपदा को साझा करने की नई रणनीति अपनाई है, जिससे चीन के हितों को खतरा हो सकता है। व्हाइट हाउस में हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में, पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति ट्रंप को दुर्लभ खनिजों का नमूना दिखाया। यह कदम पाकिस्तान की अमेरिका के साथ संबंधों को मजबूत करने की कोशिश का हिस्सा है। जानें इस बैठक के पीछे की रणनीति और इसके संभावित प्रभावों के बारे में।
 

व्हाइट हाउस में पाकिस्तान की नई पहल

वॉशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और आर्मी चीफ आसिम मुनीर की व्हाइट हाउस में हुई मुलाकात की तस्वीरें पहले ही चर्चा का विषय बन चुकी हैं। अब, व्हाइट हाउस द्वारा जारी एक नई तस्वीर ने पाकिस्तान की रणनीति को उजागर किया है, जिससे उसके 'सदाबहार दोस्त' चीन को झटका लग सकता है। इस तस्वीर में पाक आर्मी चीफ आसिम मुनीर, राष्ट्रपति ट्रंप को पाकिस्तान के दुर्लभ खनिजों का एक नमूना दिखाते हुए नजर आ रहे हैं।


एक रिपोर्ट के अनुसार, व्हाइट हाउस द्वारा साझा की गई तस्वीर में शहबाज शरीफ और आसिम मुनीर, ट्रंप को एक लकड़ी के बॉक्स में रंग-बिरंगे पत्थर दिखा रहे हैं। ये पत्थर बास्टेनजाइट और मोनाजाइट जैसे दुर्लभ खनिजों के हो सकते हैं, जिनमें सेरियम और नियोडिमियम जैसे तत्व शामिल हैं। यह पाकिस्तान की अमेरिका को आकर्षित करने और खुद को चीन के विकल्प के रूप में स्थापित करने की एक महत्वपूर्ण कोशिश है। पाकिस्तान लंबे समय से बलूचिस्तान और खैबर-पख्तूनख्वा में अपनी खनिज संपदा का दावा करता रहा है, और अब वह इसी 'खजाने' के माध्यम से अमेरिकी निवेश को आकर्षित करना चाहता है।


पाकिस्तान का यह कदम सीधे तौर पर चीन के हितों को प्रभावित करता है। चीन अमेरिका को रेयर अर्थ मिनरल्स की आपूर्ति में प्रमुख भूमिका निभाता है। पाकिस्तान का अमेरिका के साथ सहयोग करना चीन के एकाधिकार को चुनौती देने वाला है। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि चीन CPEC प्रोजेक्ट के तहत बलूचिस्तान में पहले से ही भारी निवेश कर चुका है, और बलूच लिबरेशन आर्मी जैसे संगठन लगातार उसके प्रोजेक्ट्स और नागरिकों को निशाना बना रहे हैं। ऐसे में अमेरिका का इस क्षेत्र में प्रवेश चीन के लिए एक बड़ा रणनीतिक झटका माना जा रहा है।


पाकिस्तान केवल खनिजों के माध्यम से ही नहीं, बल्कि क्रिप्टोकरेंसी के जरिए भी ट्रंप प्रशासन के करीब आ रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के एक अनौपचारिक 'क्रिप्टो मंत्री' बिलाल बिन साकिब ने व्हाइट हाउस में ट्रंप के क्रिप्टो सलाहकार से मुलाकात की, ताकि अमेरिकी व्यवसायी, जिनमें ट्रंप परिवार के लोग भी शामिल हैं, पाकिस्तान में निवेश कर सकें।


दिलचस्प बात यह है कि इस उच्च-स्तरीय बैठक के दौरान पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल ने ट्रंप के करीबी सहयोगी काश पटेल से भी मुलाकात की, जो यह संकेत करता है कि आतंकवाद और सुरक्षा के मुद्दों पर भी दोनों देशों के बीच गहरी बातचीत चल रही है।