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पाकिस्तान की तालिबान के साथ सीक्रेट डील: एक नया खतरा

पाकिस्तान ने तालिबान के साथ एक गुप्त डील का खुलासा किया है, जिसमें यह स्वीकार किया गया है कि एक विदेशी देश उसकी जमीन का उपयोग कर सकता है। यह स्थिति भारत के लिए एक बड़ा खतरा बन सकती है। तालिबान के दबाव में पाकिस्तान ने सीज फायर की मांग की है, जबकि अफगानिस्तान ने पाकिस्तान के सामने कुछ शर्तें रखी हैं। जानें इस डील के पीछे की सच्चाई और पाकिस्तान की प्रतिक्रिया।
 

पाकिस्तान की नई चुनौती

किसी भी दुश्मन देश को डराना या मिटाना संभव है, लेकिन उससे उसकी गलतियों को उजागर करना अक्सर कठिन होता है। भारत यदि चाहे, तो पाकिस्तान को एक झटके में नक्शे से मिटा सकता है, लेकिन यह जानना कि पाकिस्तान की अन्य देशों के साथ क्या गुप्त समझौते हैं, एक चुनौती है। हाल ही में तालिबान ने पाकिस्तान से एक लिखित समझौता करवा लिया है, जिसमें पाकिस्तान ने पहली बार स्वीकार किया है कि उसने एक विदेशी देश के साथ एक गुप्त डील की है। यह डील भारत के लिए एक बड़ा खतरा बन सकती है। पाकिस्तान तालिबान के हमलों से परेशान होकर किसी भी कीमत पर सीज फायर चाहता है, और इस्लाम के नाम पर आधी पाकिस्तानी जनता तालिबान का समर्थन करने के लिए तैयार है।


तालिबान का दबाव

यह स्थिति किसी भी देश के लिए खतरनाक होती है जब उसके नागरिक दुश्मन के प्रति वफादार हो जाते हैं। तालिबान ने पाकिस्तान से वह सच उगलवाया है, जो भारत शायद नहीं कर पाता। पाकिस्तान ने पहली बार यह स्वीकार किया है कि एक विदेशी देश उसके क्षेत्र का उपयोग कर किसी अन्य देश पर हमला कर सकता है। इस डील में स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि जब यह रहस्यमय विदेशी देश अपने लाभ के लिए पाकिस्तान की जमीन का उपयोग करेगा, तो पाकिस्तान इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता। यह एक चौंकाने वाला खुलासा है।


अफगानिस्तान की शर्तें

अफगानिस्तान ने पाकिस्तान के सामने दो शर्तें रखी हैं। पहली, पाकिस्तान को अफगानिस्तान के हवाई क्षेत्र या भूमि सीमा का उल्लंघन नहीं करना है। हाल ही में पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के कई क्षेत्रों पर हवाई हमले किए थे, जिसमें काबुल भी शामिल था। दूसरी शर्त यह है कि पाकिस्तान अपने क्षेत्र का उपयोग अफगानिस्तान के दुश्मनों के खिलाफ नहीं होने देगा। दोनों पक्षों के बीच गुप्त संपर्क जारी रखने की उम्मीद है, लेकिन बिना ठोस प्रगति के सीमा पर झड़पें और कूटनीतिक तनाव जारी रहने की संभावना है।


पाकिस्तान की प्रतिक्रिया

इन शर्तों ने पाकिस्तान की चिंता बढ़ा दी है। तालिबान ने पाकिस्तान पर वही आरोप लगाए हैं, जो पाकिस्तान हमेशा दूसरों पर लगाता रहा है। तालिबान का यह रुख पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका है। अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए, पाकिस्तान अब तालिबान को जिद्दी बताने में जुट गया है। पाकिस्तानी मीडिया ने भी सरकार की लाइन को अपनाया है, जिसमें कहा गया है कि वार्ता इसलिए विफल हुई क्योंकि तालिबान के तर्क अतार्किक थे।