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पाकिस्तान की स्वीकार्यता: ऑपरेशन सिंदूर ने सैन्य संतुलन को कैसे प्रभावित किया?

पाकिस्तान की हालिया स्वीकार्यता ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय हमलों के प्रभाव को उजागर किया है। इशाक डार के बयान से लेकर सैटेलाइट तस्वीरों तक, यह घटनाक्रम न केवल भारत-पाक सैन्य संतुलन को प्रभावित करता है, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख को भी दर्शाता है। जानें इस पूरे घटनाक्रम के पीछे की सच्चाई और पाकिस्तान की बदलती रणनीति के बारे में।
 

पाकिस्तान की आधिकारिक स्वीकार्यता


नई दिल्ली : मई में हुए ऑपरेशन सिंदूर के संदर्भ में पाकिस्तान की हालिया स्वीकार्यता ने भारत-पाक सैन्य टकराव से जुड़े कई महत्वपूर्ण तथ्यों को उजागर किया है। अप्रैल में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की मौत के बाद भारत की जवाबी कार्रवाई के प्रभाव को अब पाकिस्तान ने स्वीकार किया है।


इशाक डार का बयान और नूर खान एयरबेस पर हमला

इशाक डार का बयान और नूर खान एयरबेस पर हमला
पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने एक प्रेस वार्ता में यह स्वीकार किया कि भारत ने रावलपिंडी के नूर खान एयरबेस को निशाना बनाया। उनके अनुसार, भारतीय ड्रोन हमलों ने पाकिस्तान की एक सैन्य स्थापना को नुकसान पहुँचाया और कुछ सैनिक घायल हुए। डार ने बताया कि भारत ने 36 घंटों के भीतर लगभग 80 ड्रोन पाकिस्तानी क्षेत्र में भेजे, जिनमें से 79 को रोक लिया गया, जबकि एक ड्रोन लक्ष्य तक पहुँचने में सफल रहा।


भारत की कार्रवाई को 'गलती' बताने की कोशिश

भारत की कार्रवाई को 'गलती' बताने की कोशिश
डार ने नूर खान एयरबेस पर हमले को भारत की 'रणनीतिक भूल' करार दिया और कहा कि यह हमला 9 और 10 मई की रात को हुआ। इसके बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की अध्यक्षता में एक आपात बैठक हुई, जिसमें आगे की रणनीति पर चर्चा की गई। हालांकि, उनके बयान में हमले से हुए नुकसान को सीमित दिखाने की कोशिश स्पष्ट है।


नूर खान एयरबेस: रणनीतिक दृष्टि से अहम ठिकाना

नूर खान एयरबेस: रणनीतिक दृष्टि से अहम ठिकाना
रावलपिंडी के चकलाला क्षेत्र में स्थित नूर खान एयरबेस पाकिस्तान वायुसेना का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। यह उन 11 एयरबेसों में शामिल था, जिन्हें भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान निशाना बनाया। इन हमलों में सरगोधा, रफीकी, जैकबाबाद, मुरीदके और अन्य ठिकाने भी शामिल थे। यह कार्रवाई पाकिस्तान और पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर (PoK) में मौजूद आतंकी ढांचों पर पहले किए गए हमलों के बाद की गई थी, जिनमें नौ आतंकी शिविरों को निशाना बनाया गया था।


भारतीय सेना के पूर्व अधिकारी की तीखी प्रतिक्रिया

भारतीय सेना के पूर्व अधिकारी की तीखी प्रतिक्रिया
भारतीय सेना के पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लों ने इशाक डार के बयान को खारिज करते हुए उन्हें 'आदतन झूठ बोलने वाला' बताया। ढिल्लों के अनुसार, पाकिस्तान के एक टीवी चैनल ने स्वतंत्रता दिवस पर उन 138 सैनिकों के नाम प्रकाशित किए थे, जिन्हें ऑपरेशन सिंदूर में मारे जाने के बाद मरणोपरांत वीरता पुरस्कार दिए गए। उनका कहना था कि यदि 138 लोगों को मरणोपरांत सम्मान दिया गया, तो वास्तविक मृतकों की संख्या इससे कहीं अधिक रही होगी।


PM शहबाज शरीफ की पहले की स्वीकारोक्ति

PM शहबाज शरीफ की पहले की स्वीकारोक्ति
ऑपरेशन सिंदूर के कुछ ही दिनों बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भी नूर खान एयरबेस पर भारतीय हमले की पुष्टि की थी। उन्होंने बताया कि 9 और 10 मई की रात करीब 2:30 बजे सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर ने उन्हें व्यक्तिगत रूप से फोन कर हमले की जानकारी दी थी। यह बयान डार के हालिया दावे से अलग तस्वीर पेश करता है।


ब्रह्मोस मिसाइल और परमाणु आशंका

ब्रह्मोस मिसाइल और परमाणु आशंका
जुलाई में पाकिस्तान के एक वरिष्ठ सलाहकार राना सनाउल्लाह ने यह स्वीकार किया कि भारत द्वारा दागी गई ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल के मामले में पाकिस्तान के पास केवल 30 से 45 सेकंड का समय था यह तय करने के लिए कि वह परमाणु हथियार है या नहीं। यह स्वीकारोक्ति दक्षिण एशिया की सुरक्षा स्थिति की गंभीरता को दर्शाती है।


सैटेलाइट तस्वीरों ने दिखाई हमलों की सच्चाई

सैटेलाइट तस्वीरों ने दिखाई हमलों की सच्चाई
मैक्सार टेक्नोलॉजीज द्वारा 13 मई को ली गई सैटेलाइट तस्वीरों में पाकिस्तान के कई एयरबेसों पर भारी नुकसान के संकेत मिले। इनमें नूर खान, मुशाफ (सरगोधा), भोलारी और शाहबाज (जैकबाबाद) एयरबेस शामिल हैं। अप्रैल के अंत और मई के मध्य की तस्वीरों की तुलना से साफ होता है कि इन ठिकानों पर संरचनात्मक क्षति हुई, जो भारतीय हमलों की पुष्टि करती है।


पाकिस्तान का बदलता बयान और रणनीतिक संदेश

पाकिस्तान का बदलता बयान और रणनीतिक संदेश
10 मई को पाकिस्तान ने खुद यह स्वीकार किया था कि उसके तीन एयरबेस भारतीय मिसाइलों और ड्रोन हमलों का निशाना बने। इसके बावजूद अब नुकसान को 'सीमित' बताने की कोशिश यह दर्शाती है कि पाकिस्तान इस पूरे घटनाक्रम को राजनीतिक और कूटनीतिक रूप से नियंत्रित करने का प्रयास कर रहा है।

ऑपरेशन सिंदूर को लेकर पाकिस्तान की आधिकारिक स्वीकारोक्ति, विरोधाभासी बयान और सैटेलाइट सबूत यह संकेत देते हैं कि भारत की सैन्य कार्रवाई केवल प्रतीकात्मक नहीं थी, बल्कि रणनीतिक रूप से प्रभावी रही। यह घटनाक्रम न केवल आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख को दर्शाता है, बल्कि दक्षिण एशिया में बदलते सैन्य संतुलन की ओर भी इशारा करता है।