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पाकिस्तान में Gen-Z का विद्रोह: शिक्षा सुधार की मांग पर युवा छात्रों का आंदोलन

पाकिस्तान में Gen-Z ने शिक्षा सुधार की मांग को लेकर सरकार के खिलाफ एक बड़ा आंदोलन शुरू किया है। यह आंदोलन पहले फीस वृद्धि के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से शुरू हुआ था, लेकिन अब यह शहबाज सरकार के खिलाफ एक व्यापक जन आंदोलन में बदल चुका है। छात्रों का गुस्सा नई डिजिटल मूल्यांकन प्रणाली के कारण है, जिसमें कई गड़बड़ियां सामने आई हैं। जानें इस आंदोलन के विस्तार और सरकार की प्रतिक्रिया के बारे में।
 

पाकिस्तान में युवा छात्रों का आंदोलन


नई दिल्ली: नेपाल के बाद अब पाकिस्तान में भी Gen-Z ने सरकार के खिलाफ आवाज उठाई है। हाल ही में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में हुए हिंसक प्रदर्शनों के बाद असंतोष की एक नई लहर देखने को मिल रही है। इस बार युवा छात्रों ने शिक्षा में सुधार की मांग को लेकर सड़कों पर उतरने का निर्णय लिया है। प्रारंभ में फीस वृद्धि के खिलाफ शांतिपूर्ण आंदोलन शुरू हुआ था, लेकिन अब यह शहबाज सरकार के खिलाफ एक बड़े जन आंदोलन में बदल चुका है।


छात्रों का गुस्सा क्यों?

छात्रों का असंतोष मुख्य रूप से नई डिजिटल मूल्यांकन प्रणाली (ई-मार्किंग) के कारण है, जिसे इस वर्ष मैट्रिक और इंटरमीडिएट स्तर पर लागू किया गया। रिपोर्टों के अनुसार, 30 अक्टूबर को इंटरमीडिएट फर्स्ट ईयर के परिणामों में कई गड़बड़ियां सामने आईं। कई छात्रों को कम अंक मिले, जबकि कुछ को उन विषयों में पास दिखाया गया, जिनकी परीक्षा उन्होंने दी ही नहीं थी। इस स्थिति ने छात्रों में भारी नाराजगी पैदा कर दी है।


सरकार की चुप्पी

इस मामले पर सरकार की ओर से कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन मीरपुर एजुकेशन बोर्ड ने ई-मार्किंग प्रणाली की जांच के लिए एक समिति का गठन किया है। छात्रों की प्रमुख मांगों में से एक यह है कि पुनर्मूल्यांकन शुल्क (Re-evaluation Fee) को समाप्त किया जाए, जो प्रति विषय 1500 रुपये है। सात विषयों के लिए यह कुल 10,500 रुपये तक पहुंच जाता है, जो गरीब परिवारों के छात्रों के लिए बहुत बड़ी राशि है।


आंदोलन का विस्तार

यह आंदोलन अब केवल पीओके तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि लाहौर जैसे बड़े शहरों में भी फैल चुका है। पिछले महीने इंटरमीडिएट के छात्रों ने लाहौर प्रेस क्लब के बाहर भी धरना प्रदर्शन किया था। इस आंदोलन को संयुक्त अवामी एक्शन कमेटी (JAAC) का समर्थन प्राप्त है, जो अक्टूबर में हुए हिंसक प्रदर्शनों में भी सक्रिय थी।


पाकिस्तान सरकार का झुकाव

लगभग एक महीने पहले पीओके में 30 मांगों को लेकर एक बड़ा विरोध-आंदोलन हुआ था, जिसमें टैक्स में राहत, आटा और बिजली पर सब्सिडी जैसी मांगें शामिल थीं। उस समय हुई हिंसा में 12 से अधिक लोगों की जान गई थी। पाकिस्तानी सेना ने प्रदर्शन को दबाने के लिए गोलियां चलाईं, लेकिन यह आंदोलन सेना प्रमुख आसिम मुनीर की नीतियों और भ्रष्टाचार के खिलाफ बगावत में बदल गया। अंततः सरकार को आंदोलनकारियों से बातचीत कर कुछ मांगें माननी पड़ीं।


विशेषज्ञों की राय

विशेषज्ञों का मानना है कि यह समय बहुत संवेदनशील है, क्योंकि नेपाल में भी इसी तरह के युवा नेतृत्व वाले आंदोलन ने केपी शर्मा ओली सरकार को सत्ता से बाहर कर दिया था। वहां सोशल मीडिया पर रोक के खिलाफ शुरू हुआ आंदोलन भ्रष्टाचार विरोधी जनक्रांति में बदल गया था। उसी प्रकार, PoK में भी यह आग शिक्षा के मुद्दों से शुरू होकर सत्ता परिवर्तन की ओर बढ़ने की संभावना दिखा रही है।