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पाकिस्तान में संविधान संशोधन का विरोध: न्यायपालिका में इस्तीफों की लहर

पाकिस्तान में 27वें संविधान संशोधन के खिलाफ बढ़ते विरोध के बीच, लाहौर हाईकोर्ट के जज जस्टिस शम्स महमूद मिर्जा ने इस्तीफा दे दिया है। यह कदम न्यायपालिका में बढ़ते तनाव को दर्शाता है। जस्टिस मिर्जा के इस्तीफे से पहले, सुप्रीम कोर्ट के दो अन्य वरिष्ठ जजों ने भी अपने पद छोड़े थे। जजों का कहना है कि नया फेडरल कांस्टीट्यूशनल कोर्ट (FCC) सुप्रीम कोर्ट की शक्तियों को सीमित करेगा। इस स्थिति ने न्यायपालिका और सरकार के बीच टकराव को और बढ़ा दिया है।
 

संविधान संशोधन का विरोध

पाकिस्तान में 27वें संविधान संशोधन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं। इस संदर्भ में, लाहौर हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस शम्स महमूद मिर्जा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। वे इस हाईकोर्ट से इस्तीफा देने वाले पहले जज बने हैं। जस्टिस मिर्जा का रिटायरमेंट 6 मार्च 2028 को होना था। उनके इस्तीफे के बाद न्यायपालिका में तनाव और बढ़ता दिखाई दे रहा है।



जस्टिस मिर्जा, पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पीटीआई के महासचिव सलमान अकरम राजा के साले हैं। इससे पहले, 13 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट के दो वरिष्ठ जज, जस्टिस सैयद मंसूर अली शाह और जस्टिस अतर मिनल्लाह ने भी अपने पदों से इस्तीफा दिया था। इन न्यायाधीशों ने 27वें संशोधन को संविधान, न्यायपालिका और लोकतंत्र के लिए एक बड़ा खतरा बताया।


जस्टिस मंसूर अली शाह ने कहा कि यह संशोधन सुप्रीम कोर्ट की शक्तियों को समाप्त कर रहा है और सरकार न्यायपालिका की स्वतंत्रता को छीन रही है। उनके अनुसार, सरकार का उद्देश्य अदालतों को अपने नियंत्रण में लेना है, जिससे लोकतांत्रिक ढांचे को कमजोर किया जा सके।


इस्तीफा देने वाले न्यायाधीशों का मुख्य विरोध नई स्थापित फेडरल कांस्टीट्यूशनल कोर्ट (FCC) के खिलाफ है। उनका कहना है कि FCC के गठन से सुप्रीम कोर्ट अब सर्वोच्च संवैधानिक अदालत नहीं रह जाएगी। FCC के निर्णय सभी अदालतों, यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट पर भी बाध्यकारी होंगे। इंटरनेशनल कमीशन ऑफ ज्यूरिस्ट ने भी इस संशोधन को न्यायिक स्वतंत्रता पर एक खुला हमला बताया है।


27वें संशोधन के प्रमुख बदलाव इस प्रकार हैं:



  • फेडरल कांस्टीट्यूशनल कोर्ट (FCC) का गठन, जो संविधान से संबंधित मामलों की सुनवाई करेगा।

  • सुप्रीम कोर्ट की भूमिका अब केवल सिविल और क्रिमिनल मामलों तक सीमित रह जाएगी।

  • FCC के निर्णय पूरे देश की अदालतों पर लागू होंगे।

  • सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर 2030 तक चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेस बने रहेंगे।


इन इस्तीफों की श्रृंखला से यह स्पष्ट है कि पाकिस्तान की न्यायपालिका और सरकार के बीच टकराव अपने चरम पर पहुंच चुका है।