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पाकिस्तान में संवैधानिक संकट: आसिम मुनीर को मिले असीमित अधिकार, वकीलों का विरोध

पाकिस्तान में आर्थिक संकट के बीच, सेना प्रमुख आसिम मुनीर को असीमित अधिकार दिए जाने के बाद संवैधानिक संकट गहरा गया है। इस कदम के खिलाफ वकीलों ने जोरदार प्रदर्शन किया, जिससे न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं। जानें इस विवादास्पद संशोधन और वकीलों के विरोध के बारे में विस्तार से।
 

पाकिस्तान में बिगड़ते हालात


पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति लगातार खराब होती जा रही है। देश एक ओर सैन्य संघर्ष का सामना कर रहा है, वहीं दूसरी ओर राजनीतिक और संवैधानिक संकट भी गहरा होता जा रहा है। इस कठिन समय में, सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर को असाधारण तरीके से ऊंचा दर्जा दिया गया है।


आसिम मुनीर को मिले विशेष अधिकार

सूत्रों के अनुसार, संविधान में विशेष संशोधन कर आसिम मुनीर को लगभग असीमित अधिकार दिए गए हैं। इस निर्णय के बाद पाकिस्तान में न्यायपालिका और कानूनी समुदाय में भारी आक्रोश फैल गया है, जो इसे संविधान को कमजोर करने की साजिश मानते हैं।


कराची बार एसोसिएशन (केबीए) के वकीलों ने शनिवार को सिंध हाई कोर्ट (SHC) में 27वें संशोधन के खिलाफ प्रदर्शन किया। यह संशोधन सेना को और मजबूत करने और अन्य संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करने वाला माना जा रहा है। स्थानीय मीडिया की रिपोर्टों के अनुसार, प्रदर्शन के दौरान वकीलों और पुलिस के बीच झड़पें हुईं।


संविधान में संशोधन का विरोध

संविधान में किए गए इस संशोधन के बाद फेडरल कॉन्स्टिट्यूशनल कोर्ट (FCC) का गठन किया गया है। विपक्ष ने संसद में इसका विरोध किया, लेकिन सरकार ने इसे पारित कर दिया। विशेषज्ञ इसे सुप्रीम कोर्ट की शक्तियों को कम करने और FCC को सर्वोच्च न्यायिक अधिकार सौंपने का प्रयास मानते हैं।


संशोधन लागू होने के कुछ घंटों बाद, सुप्रीम कोर्ट के दो वरिष्ठ जजों ने इस्तीफा दे दिया, यह कहते हुए कि यह बदलाव न्यायपालिका की स्वतंत्रता और संविधान की मूल संरचना के लिए खतरा है। इसके बाद कानूनी समुदाय में विरोध की लहर तेज हो गई है।


वकीलों का प्रदर्शन जारी

शनिवार को वकीलों ने SHC परिसर के बाहर नारेबाजी की और बाद में अंदर जाकर प्रदर्शन किया। झड़पों के बाद पुलिस पीछे हट गई और वकीलों को प्रदर्शन जारी रखने दिया। कुछ पुलिसकर्मियों को मामूली चोटें आईं, जबकि वकील सिंध हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के हॉल में बैठे रहे और सरकार के खिलाफ नारे लगाते रहे।


केबीए ने पहले भी रिटायर्ड जजों के समर्थन में हड़ताल की है। हाल के दिनों में वकीलों ने कई दिन अदालतों का बहिष्कार किया, जिससे न्यायिक कार्यवाही प्रभावित हुई। बार एसोसिएशन ने आने वाले दिनों में भी प्रतिदिन टोकन स्ट्राइक जारी रखने की घोषणा की है।