पाकिस्तान में संवैधानिक संकट: सेना प्रमुख को मिली असाधारण शक्तियां
पाकिस्तान में राजनीतिक उथल-पुथल
नई दिल्ली: आर्थिक संकट से जूझ रहा पाकिस्तान इस समय राजनीतिक और संवैधानिक संकट का सामना कर रहा है। सरकार ने सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर को असाधारण पदोन्नति देने के लिए संविधान में संशोधन किया है, जिससे उन्हें लगभग 'अमर' शक्तियां प्रदान की गई हैं।
संविधान में संशोधन का विवाद
इस कदम ने देश में न्यायपालिका और सरकार के बीच टकराव को जन्म दिया है। कराची से इस्लामाबाद तक वकील, न्यायाधीश और बार एसोसिएशन खुलकर विरोध में उतर आए हैं। कई स्थानों पर पुलिस के साथ झड़पें हुईं और अदालतों के परिसर संघर्ष का स्थल बन गए।
पाकिस्तान सरकार ने 27वें संशोधन के माध्यम से जनरल आसिम मुनीर को एक विशेष दर्जा दिया है, जिससे उन्हें अन्य संस्थाओं पर नियंत्रण मिल गया है। विपक्ष का आरोप है कि यह संशोधन सेना को अत्यधिक शक्ति देकर लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करने की योजना है। संशोधन लागू होते ही देशभर में असंतोष फैल गया है।
देशव्यापी विरोध प्रदर्शन
कराची में शुरू हुआ विरोध जल्द ही पूरे देश में फैल गया। न्यायपालिका से जुड़े संगठनों ने इसे सुप्रीम कोर्ट को दरकिनार करने का प्रयास बताया है। दो वरिष्ठ न्यायाधीशों ने विरोध में तुरंत इस्तीफा दे दिया। वकील संगठनों ने हड़ताल की घोषणा की और अदालतों में कामकाज ठप कर दिया। स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि पुलिस को अदालत परिसरों में अधिक संख्या में तैनात करना पड़ा।
जनरल मुनीर के खिलाफ प्रदर्शन
विरोध का मुख्य कारण यह है कि नए संशोधन के तहत एफसीसी को सर्वोच्च न्यायिक अधिकार देने की योजना है, जिससे सुप्रीम कोर्ट का प्रभाव कम हो जाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार ने सेना समर्थित संरचना बनाकर न्याय प्रणाली को कमजोर किया है। वकीलों का आरोप है कि यह संशोधन राष्ट्रपति, संसद और अदालतों की पारंपरिक शक्तियों को समाप्त करने की दिशा में एक कदम है।
विरोध प्रदर्शन में हिंसा
कराची बार एसोसिएशन के वकीलों ने सिंध हाई कोर्ट परिसर में जोरदार विरोध प्रदर्शन किया, जहां वकीलों और पुलिस के बीच झड़प हुई। स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार, कुछ पुलिसकर्मियों ने आरोप लगाया कि वकीलों ने उनकी वर्दी तक फाड़ दी। स्थिति बिगड़ने पर पुलिस को पीछे हटना पड़ा और वकीलों ने कोर्ट परिसर में नारेबाजी जारी रखी। कई पुलिसकर्मियों के मामूली रूप से घायल होने की भी खबरें आईं।
देशभर में असंतोष
संशोधित प्रावधानों के कारण एफसीसी को सुप्रीम कोर्ट की जगह सर्वोच्च न्यायिक शक्ति मिलने का रास्ता साफ होता दिख रहा है, जिससे पूरे देश में चिंता फैल गई है। केबीए और अन्य बार एसोसिएशनों ने इसे लोकतंत्र विरोधी कदम बताते हुए लगातार हड़तालें जारी रखीं। सिटी कोर्ट में केस दाखिल करने वालों को अंदर घुसने तक नहीं दिया गया। बिजली कटने के बावजूद वकील बार रूम के बाहर जुटे रहे और सरकार से संशोधन वापस लेने की मांग करते रहे।