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पाकिस्तान में संवैधानिक संशोधन से बढ़ेगी सेना की ताकत

पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर की ताकत को बढ़ाने के लिए एक विवादास्पद संवैधानिक संशोधन की योजना बनाई जा रही है। इस कदम से सेना का नागरिक शासन पर प्रभाव और बढ़ सकता है। जानें इस संशोधन के पीछे की वजहें और इसके संभावित परिणाम।
 

पाकिस्तान के सेना प्रमुख की बढ़ती ताकत

पाकिस्तान के सेना प्रमुख, फील्ड मार्शल असीम मुनीर, देश की सबसे प्रभावशाली शख्सियत माने जाते हैं। यह स्पष्ट है कि हाल ही में हुए पहलगाम हमले और भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद, मुनीर व्हाइट हाउस में पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप से मिलने पहुंचे। आमतौर पर, किसी देश का प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति ही दूसरे देश के नेता से मिलता है, लेकिन पाकिस्तान में यह स्थिति भिन्न है। अब पाकिस्तान एक ऐसा कदम उठाने की योजना बना रहा है, जिससे सेना के प्रभावशाली नेता मुनीर की शक्ति और बढ़ जाएगी। पाकिस्तान ने एक विवादास्पद संवैधानिक संशोधन को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया है, जिसे मुनीर की स्थिति को मजबूत करने के लिए तैयार किया गया है।


संविधान संशोधन की योजना

दिलचस्प बात यह है कि इस संवैधानिक संशोधन की जानकारी दुनिया और पाकिस्तान को पीपीपी प्रमुख बिलावल भुट्टो-जरदारी के एक ट्वीट के माध्यम से मिली। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने इस संशोधन के लिए समर्थन मांगने के लिए उनकी पार्टी से संपर्क किया है। प्रस्तावित संशोधनों में संवैधानिक न्यायालयों और न्यायाधीशों के स्थानांतरण से संबंधित प्रावधान शामिल हैं, लेकिन अनुच्छेद 243 में बदलाव की चर्चा चिंता का विषय है। अनुच्छेद 243 पाकिस्तानी सशस्त्र बलों की कमान और नियंत्रण से संबंधित है। संविधान के अनुसार, संघीय सरकार का सशस्त्र बलों पर नियंत्रण होना चाहिए।


सैन्य और नागरिक शासन का असंतुलन

हालांकि शरीफ सरकार ने इस कदम को लेकर गोपनीयता बरती है, लेकिन अनुच्छेद 243 में संशोधन को मुनीर की स्थिति को सुरक्षित करने के एक प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। इससे यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि नागरिक मामलों में सेना का दबदबा और बढ़ेगा। यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि पाकिस्तान में सेना लंबे समय से नागरिक शासन पर हावी रही है। इस साल की शुरुआत में, भारत के साथ तीन दिनों की शत्रुता के बाद मुनीर को फील्ड मार्शल के पद पर पदोन्नत किया गया था।


भविष्य की अनिश्चितता

हालांकि, फील्ड मार्शल का पद वर्तमान में पाकिस्तान के संविधान में कोई कानूनी दर्जा नहीं रखता है, जिससे मुनीर का भविष्य अस्पष्ट है। आधिकारिक तौर पर, मुनीर 28 नवंबर को सेवानिवृत्त होने वाले हैं। अनुच्छेद 243 में संशोधन को मुनीर को एक सुरक्षित और विस्तारित पद प्रदान करने के रूप में देखा जा रहा है। भू-राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम संवैधानिक आवरण के तहत सैन्य प्रभाव को मजबूत करने का प्रयास है, जिससे नागरिक-सैन्य असंतुलन और गहरा होगा।