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पाकिस्तान में सुरक्षा चिंताओं के चलते जाफर एक्सप्रेस सेवा निलंबित

पाकिस्तान में बढ़ते आतंकवादी हमलों के कारण जाफर एक्सप्रेस सेवा को चार दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया है। यह निर्णय सुरक्षा एजेंसियों की चेतावनी के बाद लिया गया है, ताकि यात्रियों और रेलवे कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। बलूचिस्तान में हालात तनावपूर्ण हैं, और इस ट्रेन पर पहले भी हमले हो चुके हैं। जानें इस स्थिति के पीछे की वजहें और सुरक्षा एजेंसियों के लिए यह चुनौती क्यों महत्वपूर्ण है।
 

पाकिस्तान में आतंकी हमलों का बढ़ता खतरा


पाकिस्तान में बढ़ते आतंकवादी हमलों ने सुरक्षा एजेंसियों को एक बार फिर से सतर्क कर दिया है। बलूचिस्तान में हालिया हमलों के मद्देनजर, पाकिस्तान रेलवे ने क्वेटा से पेशावर के बीच चलने वाली जाफर एक्सप्रेस को चार दिनों के लिए बंद करने का निर्णय लिया है।


सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया कदम

यह निर्णय खुफिया एजेंसियों की चेतावनी के आधार पर लिया गया है, ताकि यात्रियों, रेलवे कर्मचारियों और महत्वपूर्ण ढांचों की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके। जाफर एक्सप्रेस पहले भी बलूच विद्रोहियों के निशाने पर रही है।


पाकिस्तान रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि 9 से 12 नवंबर तक जाफर एक्सप्रेस की सेवा निलंबित रहेगी। यह कदम सुरक्षा एजेंसियों की सलाह पर उठाया गया है। रेलवे प्रशासन ने कहा कि बलूचिस्तान में स्थिति तनावपूर्ण है, इसलिए यात्रियों की सुरक्षा प्राथमिकता है। इस निर्णय से हजारों यात्रियों की यात्रा योजनाएं प्रभावित होंगी, क्योंकि जाफर एक्सप्रेस क्वेटा और पेशावर के बीच एक सस्ती और लोकप्रिय यात्रा का साधन है।


मार्च में हुए हमले से शुरू हुई हिंसा

इस वर्ष मार्च में जाफर एक्सप्रेस पर एक बड़ा आतंकी हमला हुआ था। प्रतिबंधित संगठन बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) ने 380 यात्रियों से भरी ट्रेन का अपहरण कर लिया था। इस टकराव में 26 लोगों की मौत हुई, जबकि 354 यात्रियों को सुरक्षित बचाया गया। इस दौरान सुरक्षा बलों ने 33 उग्रवादियों को मार गिराया। इस घटना के बाद से यह ट्रेन बार-बार विद्रोही हमलों का शिकार बनती रही है।


बम धमाकों से प्रभावित रेलवे नेटवर्क

मार्च की घटना के बाद, अक्टूबर में सिंध प्रांत में रेलवे ट्रैक पर विस्फोट हुआ, जिससे पांच डिब्बे पटरी से उतर गए और कई यात्री घायल हुए। सितंबर में बलूचिस्तान के मस्तुंग क्षेत्र में हुए धमाके से छह डिब्बे पटरी से उतर गए और 12 यात्री घायल हुए। अगस्त में भी मस्तुंग में एक आईईडी धमाके से चार लोग जख्मी हुए थे। ये घटनाएं दर्शाती हैं कि आतंकवादी लगातार रेलवे नेटवर्क को निशाना बना रहे हैं।


गोलीबारी और पटरी उड़ाने की घटनाएं

4 अगस्त को कोलपुर के पास ट्रैक की जांच के लिए भेजे गए पायलट इंजन पर आतंकियों ने गोलियां चलाईं। इस हमले की जिम्मेदारी भी BLA ने ली थी। जुलाई और जून में सिंध प्रांत में दो अलग-अलग बम धमाकों में ट्रेन की पटरी उड़ाई गई, हालांकि इनमें कोई जानहानि नहीं हुई। इन घटनाओं से यह स्पष्ट है कि रेलवे सुरक्षा तंत्र लगातार चुनौतियों का सामना कर रहा है और विद्रोही अपनी गतिविधियों में और आक्रामक हो रहे हैं।


सुरक्षा एजेंसियों के लिए चुनौती

पिछले साल नवंबर में क्वेटा रेलवे स्टेशन पर हुए आत्मघाती हमले में 26 लोग मारे गए थे। विशेषज्ञों का कहना है कि बलूचिस्तान का दुर्गम और पहाड़ी भूभाग विद्रोहियों को छिपने और हमले की योजना बनाने में मदद करता है। लगातार हमलों से यह स्पष्ट है कि आतंकवादी संगठनों ने रेलवे को आसान निशाना बना लिया है। ऐसे में सुरक्षा एजेंसियों और रेलवे प्रशासन के सामने यात्रियों की सुरक्षा सबसे बड़ी चुनौती बन गई है।