×

पाकिस्तानी सेना पर गंभीर आरोप: शफी बुरफत ने उठाए सवाल

पाकिस्तान की सेना पर शफी बुरफत ने गंभीर आरोप लगाए हैं, जिसमें उन्होंने सेना को भाड़े के माफिया के रूप में पेश किया है। उनका कहना है कि सेना की प्राथमिकता केवल धन कमाना है, न कि देश की नैतिकता या राष्ट्रीय हितों की रक्षा करना। बुरफत ने यह भी कहा कि पाक सेना ने जानबूझकर आतंकवाद को बढ़ावा दिया है ताकि विदेशी सहायता मिलती रहे। इस लेख में जानें बुरफत के आरोपों की पूरी कहानी और पाकिस्तानी सेना की भूमिका पर उनके विचार।
 

पाकिस्तान की सेना पर नए आरोप


नई दिल्ली: पाकिस्तान की सेना पर एक बार फिर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। अलगाववादी संगठन जय सिंध मुत्तहिदा महाज (JSMM) के अध्यक्ष शफी बुरफत ने पाकिस्तानी सेना को एक भाड़े के माफिया के रूप में वर्णित किया है। उनका कहना है कि सेना की प्राथमिकता केवल धन अर्जित करना है, न कि देश की नैतिकता या राष्ट्रीय हितों की रक्षा करना।


पाक सेना की प्राथमिकता पैसे

शफी बुरफत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व ट्विटर) पर पाकिस्तानी सेना के प्रमुख असीम मुनीर पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि सेना ने बार-बार अंतरराष्ट्रीय संघर्षों का सहारा लेकर अरबों डॉलर की सहायता प्राप्त की है। उनका आरोप है कि सेना ने सहयोगी देशों को धोखा दिया और वैश्विक अस्थिरता का लाभ उठाया ताकि अपनी जेबें भर सकें।


बुरफत ने यह भी कहा कि पाकिस्तानी सेना अब एक पेशेवर बल नहीं रह गई है, बल्कि यह एक धनलोलुप गिरोह में बदल चुकी है जो नैतिकता की जगह पैसों को प्राथमिकता देती है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि इस प्रवृत्ति ने पाकिस्तान की वैश्विक साख और राष्ट्रीय एकता को कमजोर किया है।


आतंकवाद और डॉलर की राजनीति

शफी बुरफत ने कहा कि शीत युद्ध से लेकर अफगानिस्तान में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई तक, पाकिस्तानी सेना का असली मकसद हमेशा डॉलर कमाना रहा है। उनके अनुसार, इस्लामाबाद ने अमेरिका और पश्चिमी देशों के साथ सहयोगी होने का दिखावा किया, लेकिन गुप्त रूप से अपने निजी हितों को साधता रहा। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अमेरिका का सहयोगी होने के बावजूद आतंकवादी नेटवर्क को पनाह देता रहा है। ओसामा बिन लादेन का पाकिस्तान में पाया जाना इसका सबसे बड़ा सबूत है।


बुरफत ने यह भी कहा कि पाक सेना ने जानबूझकर आतंकवाद को बढ़ावा दिया ताकि दुनिया में डर फैले और विदेशी मदद मिलती रहे। उनके मुताबिक, जितना ज्यादा आतंकवाद का खतरा बढ़ता गया, उतनी ही ज्यादा रकम पाकिस्तान को मिलती गई।


अराजकता का लाभ उठाना

जेएसएमएम प्रमुख ने कहा कि पाकिस्तानी सैन्य नेतृत्व अपने निजी लाभ के लिए जानबूझकर अस्थिरता पैदा करता है। उन्होंने आरोप लगाया कि कश्मीर में विद्रोह, अफगानिस्तान में संघर्ष और पश्चिम एशिया में तनाव, ये सब पाक सेना की रणनीति का हिस्सा हैं।


बुरफत ने कहा कि सेना ने अमेरिका, चीन, सऊदी अरब और इजरायल जैसे देशों के साथ अपने रिश्ते केवल अपने हितों के अनुसार बदले हैं। उनके अनुसार, पाक सेना हर परिस्थिति में फायदा उठाने की कोशिश करती है, चाहे उसके परिणाम देश के लिए कितने भी विनाशकारी क्यों न हों।


असीम मुनीर की कट्टर सोच पर सवाल

बुरफत ने पाक सेना प्रमुख असीम मुनीर की भी आलोचना की, यह कहते हुए कि वह कट्टरपंथी सोच को बढ़ावा दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की मौजूदा नेतृत्व संरचना विभाजन और नफरत की विचारधारा में फंसी हुई है, जिसका इस्तेमाल सत्ता बचाने और जनता को गुमराह करने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पाक सेना का नैतिक और राजनीतिक पतन अब चरम पर है। यह संस्था अब सम्मान या न्याय के लिए नहीं बल्कि पैसों के लिए लड़ती है। इसी कारण पाकिस्तान दुनिया में बदनाम और अलग-थलग पड़ गया है.