पुतिन और नेतन्याहू की बातचीत: मिडिल ईस्ट में शांति की नई चुनौतियाँ
रूसी और इजरायली नेताओं के बीच फोन कॉल
नई दिल्ली: आज के वैश्विक परिदृश्य में प्रमुख नेता एक-दूसरे के संपर्क में रहते हैं। हालाँकि, कभी-कभी एक साधारण फोन कॉल भी महत्वपूर्ण प्रश्नों को जन्म दे सकता है। हाल ही में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के बीच हुई बातचीत ने सभी का ध्यान आकर्षित किया है।
क्या यह केवल मध्य पूर्व की स्थिति पर चर्चा थी, या अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की शांति योजना के खिलाफ कोई गुप्त रणनीति बनाई जा रही है? आइए इस मामले की गहराई में जाएं।
फोन कॉल की समयावधि ने बढ़ाई जिज्ञासा
15 नवंबर 2025 को, शनिवार के दिन, पुतिन और नेतन्याहू ने फोन पर विस्तृत चर्चा की। यह कॉल पुतिन द्वारा आरंभ की गई थी। रूसी विदेश मंत्रालय ने सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी साझा की, जिसमें बताया गया कि दोनों नेताओं ने पश्चिम एशिया की वर्तमान स्थिति पर विचार-विमर्श किया। विशेष रूप से गाजा में युद्ध विराम और कैदियों की रिहाई जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया।
बातचीत का समय और संदर्भ
यह बातचीत ठीक उसी समय हुई जब अमेरिका ने दो दिन पहले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ट्रंप की 20 सूत्री शांति योजना का प्रस्ताव रखा था। इस योजना में एक अंतरराष्ट्रीय स्थिरीकरण बल और शांति बोर्ड की स्थापना का उल्लेख है।
क्या पुतिन और नेतन्याहू इस योजना को कमजोर करने का प्रयास कर रहे हैं? यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि दोनों नेता पहले भी ट्रंप की योजना पर असहमति व्यक्त कर चुके हैं।
बातचीत के प्रमुख मुद्दे
- गाजा पट्टी में हो रही घटनाओं और युद्ध विराम को लागू करने के तरीके।
- कैदियों की अदला-बदली की प्रक्रिया।
- ईरान के परमाणु कार्यक्रम की वर्तमान स्थिति।
- सीरिया को और स्थिर बनाने के प्रयास।
इजरायली प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी इस कॉल की पुष्टि की, लेकिन अधिक जानकारी साझा नहीं की। उन्होंने केवल यह कहा कि क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा हुई। यह बातचीत अक्टूबर 2025 के बाद दोनों नेताओं के बीच पहली लंबी चर्चा थी, जब ट्रंप की गाजा योजना पर मतभेद सामने आए थे।
ट्रंप की योजना पर विवाद के कारण
डोनाल्ड ट्रंप की 20 सूत्री योजना मध्य पूर्व में शांति लाने का बड़ा दावा करती है। इसमें अंतरराष्ट्रीय बल की तैनाती और नए शांति ढांचे की बात की गई है। लेकिन पुतिन और नेतन्याहू को यह योजना अपनी-अपनी रणनीतियों में बाधा डालती नजर आ रही है। रूस सीरिया में अपनी स्थिति मजबूत करना चाहता है, जबकि इजरायल ईरान और गाजा पर कड़ा रुख अपनाए हुए है।