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बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया का निधन: शेख हसीना ने दी श्रद्धांजलि

बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री खालिदा जिया का निधन देश के लिए एक बड़ा सदमा है। उनके राजनीतिक सफर और शेख हसीना के साथ की प्रतिद्वंद्विता ने बांग्लादेश की राजनीति को आकार दिया। शेख हसीना ने खालिदा जिया के योगदान को याद करते हुए श्रद्धांजलि दी है। जानें उनके जीवन और राजनीतिक संघर्ष के बारे में इस लेख में।
 

बांग्लादेश में शोक का माहौल


नई दिल्ली: बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री खालिदा जिया के निधन से देश में शोक की लहर दौड़ गई है। उनकी मृत्यु ने बांग्लादेश के राजनीतिक इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय समाप्त कर दिया है। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना, जो उनकी प्रतिद्वंद्वी रही हैं, ने भी उनके योगदान को सराहा और दुख व्यक्त किया है।


खालिदा जिया और शेख हसीना का राजनीतिक सफर

बांग्लादेश की राजनीति में खालिदा जिया और शेख हसीना के नामों का गहरा संबंध रहा है। दोनों महिलाएं कभी एक-दूसरे की सहयोगी थीं, लेकिन समय के साथ उनकी प्रतिद्वंद्विता ने देश की राजनीति को दो ध्रुवों में बांट दिया। खालिदा जिया के निधन पर शेख हसीना ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उनका योगदान हमेशा याद रखा जाएगा।


शेख हसीना का श्रद्धांजलि संदेश

शेख हसीना ने खालिदा जिया के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा, "मैं बीएनपी की अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री बेगम खालिदा जिया के निधन पर अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त करती हूं। उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा।" उन्होंने खालिदा जिया के परिवार के प्रति भी संवेदनाएं प्रकट कीं।


सामाजिक संघर्ष से राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता तक

एक समय था जब शेख हसीना और खालिदा जिया ने मिलकर सैन्य शासक मोहम्मद इरशाद के खिलाफ लोकतंत्र की लड़ाई लड़ी थी। लेकिन इरशाद के पतन के बाद सत्ता की होड़ ने उनकी दोस्ती को दुश्मनी में बदल दिया।


राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर

1991 में खालिदा जिया के प्रधानमंत्री बनने के बाद आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हुआ। अवामी लीग और बीएनपी के बीच राजनीतिक प्रतिशोध की भावना ने बांग्लादेश की राजनीति को प्रभावित किया।


व्यक्तिगत त्रासदियों का प्रभाव

दोनों नेताओं की राजनीति में व्यक्तिगत त्रासदियों का गहरा असर रहा है। शेख हसीना ने अपने पिता को खोया, जबकि खालिदा जिया ने अपने पति को। इन घटनाओं ने उन्हें राजनीति में मजबूती से खड़ा किया।


हालांकि, समय के साथ परिस्थितियां बदलती रहीं। खालिदा जिया जेल गईं और बीएनपी कमजोर हुई, जबकि शेख हसीना सत्ता में मजबूत होती गईं। अब बीएनपी एक बार फिर राजनीतिक मजबूती की ओर बढ़ती दिख रही है।