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बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया का निधन: राजनीति में एक युग का अंत

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया का निधन 80 वर्ष की आयु में हुआ। लंबे समय से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही जिया ने बांग्लादेश की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। एक साधारण गृहिणी से लेकर देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनने तक का उनका सफर संघर्षपूर्ण रहा। उनके निधन से बांग्लादेश की राजनीति में एक युग का अंत हो गया है। जानें उनके जीवन, राजनीतिक करियर और उनके योगदान के बारे में।
 

खालिदा जिया का निधन


बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की नेता बेगम खालिदा जिया का निधन हो गया है। उनकी उम्र 80 वर्ष थी। पार्टी के अनुसार, उन्होंने 30 दिसंबर 2025 को सुबह लगभग 6 बजे ढाका के एवरकेयर अस्पताल में अंतिम सांस ली।


खालिदा जिया लिवर सिरोसिस, डायबिटीज, और हृदय एवं फेफड़ों की समस्याओं से ग्रस्त थीं। लंबे समय से स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों का सामना करते हुए, उनका निधन बांग्लादेश की राजनीति में एक महत्वपूर्ण अध्याय का समापन करता है।


साधारण गृहिणी से नेता बनने का सफर

खालिदा जिया का जन्म 15 अगस्त 1945 को ब्रिटिश भारत के दिनाजपुर जिले में हुआ था। उनका बचपन एक साधारण परिवार में बीता और प्रारंभिक जीवन में उनका राजनीति से कोई संबंध नहीं था। वे एक सामान्य गृहिणी थीं, लेकिन उनकी जिंदगी में बदलाव तब आया जब उन्होंने बांग्लादेश के स्वतंत्रता सेनानी जिया-उर-रहमान से विवाह किया, जो बाद में राष्ट्रपति बने।


पति की हत्या के बाद राजनीतिक करियर की शुरुआत

1981 में उनके पति जिया-उर-रहमान की एक सैन्य विद्रोह में हत्या कर दी गई। इस घटना ने बांग्लादेश में राजनीतिक संकट उत्पन्न किया। खालिदा जिया ने अपने पति की विरासत को संभालते हुए बीएनपी की कमान संभाली। एक गृहिणी से पार्टी की प्रमुख बनने का उनका सफर कठिन था, लेकिन उन्होंने जल्दी ही एक मजबूत नेता के रूप में पहचान बनाई।


बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री

1991 में लोकतंत्र की बहाली के बाद हुए चुनावों में खालिदा जिया बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं। इसके बाद 1996 में एक छोटा कार्यकाल और 2001 में फिर से पूर्ण कार्यकाल मिला। अपने तीन कार्यकालों के दौरान, उन्होंने राष्ट्रवाद, अर्थव्यवस्था और विदेश नीति में महत्वपूर्ण निर्णय लिए।


राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता

खालिदा जिया का राजनीतिक जीवन विवादों से भरा रहा। सत्ता से बाहर होने के बाद उन्हें भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना करना पड़ा, जिसे बीएनपी ने राजनीतिक साजिश बताया। उनकी सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्वी अवामी लीग की शेख हसीना थीं। दोनों के बीच दशकों से चली आ रही अदावत ने बांग्लादेश की राजनीति को दो धड़ों में बांट दिया।


2025 में भ्रष्टाचार के एक मामले में बरी होने के बाद, वे फिर से सक्रिय होने की योजना बना रही थीं, लेकिन उनकी स्वास्थ्य समस्याओं ने उन्हें रोक दिया। उनके निधन पर देश-विदेश से शोक संदेश आए हैं। खालिदा जिया को बांग्लादेश की सबसे प्रभावशाली महिला नेता के रूप में याद किया जाएगा।