बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया को दी गई अंतिम विदाई, जनसैलाब ने किया श्रद्धांजलि अर्पित
खालिदा जिया का अंतिम संस्कार
बुधवार को बांग्लादेश ने अपने राजनीतिक इतिहास की एक महत्वपूर्ण शख्सियत, पूर्व प्रधानमंत्री बेगम खालिदा जिया को अंतिम विदाई दी। उनकी नमाज़-ए-जनाज़ा ढाका के राष्ट्रीय संसद भवन के दक्षिण प्लाज़ा में आयोजित की गई।
जनता का उमड़ा सैलाब
दोपहर लगभग 2 बजे मानिक मियां एवेन्यू पर आयोजित इस जनाज़े में भारी भीड़ ने उनके व्यापक जनसमर्थन को दर्शाया। अंतिम संस्कार के बाद, उन्हें शेर-ए-बांग्ला नगर के चंद्रिमा उद्यान में उनके पति और पूर्व राष्ट्रपति जियाउर रहमान के पास दफनाया गया।
सुबह से ही ढाका और उसके आसपास के क्षेत्रों में शोक की लहर देखी गई। फेनी, ब्राह्मणबारिया, मयमनसिंह, कुमिला, गाजीपुर, मुंशीगंज और नारायणगंज जैसे जिलों से हजारों लोग अंतिम दर्शन के लिए राजधानी पहुंचे। मानिक मियां एवेन्यू और संसद परिसर शोक व्यक्त करने वालों से भरा रहा।
नमाज़-ए-जनाज़ा की अगुवाई
नमाज़-ए-जनाज़ा की अगुवाई बैतुल मुकर्रम राष्ट्रीय मस्जिद के खतीब ने की, जबकि कार्यक्रम की व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी बीएनपी के वरिष्ठ नेता नज़रुल इस्लाम खान ने संभाली। उपस्थित लोगों ने मौन और अनुशासन के साथ बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री को श्रद्धांजलि अर्पित की।
भारत से विदेश मंत्री की उपस्थिति
इस राजकीय अंत्येष्टि में अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर भी व्यापक भागीदारी देखने को मिली। बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने भी संसद परिसर में जाकर श्रद्धांजलि अर्पित की। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर विशेष रूप से ढाका पहुंचे और उन्होंने बीएनपी के कार्यवाहक अध्यक्ष तारिक रहमान से मुलाकात की, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से संवेदना पत्र सौंपा गया।
जयशंकर ने खालिदा जिया की राजनीतिक विरासत को भारत-बांग्लादेश संबंधों के लिए महत्वपूर्ण बताया। इसके अलावा, पाकिस्तान, नेपाल और भूटान से भी उच्चस्तरीय प्रतिनिधि अंतिम संस्कार में शामिल हुए, जो खालिदा जिया की क्षेत्रीय पहचान और प्रभाव को दर्शाता है।
सरकार द्वारा शोक की घोषणा
सरकार ने इस अवसर पर पूरे देश में सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की और तीन दिनों के राजकीय शोक का ऐलान किया। सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए थे, जिसमें 10,000 से अधिक पुलिस और सशस्त्र बलों की तैनाती की गई।
बेगम खालिदा जिया का निधन 80 वर्ष की आयु में लंबी बीमारी के बाद हुआ। तीन बार प्रधानमंत्री रह चुकीं खालिदा जिया ने बांग्लादेश में लोकतंत्र की बहाली और सशक्त विपक्ष की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके निधन के साथ बांग्लादेश की राजनीति के एक प्रभावशाली अध्याय का अंत हो गया।