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बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मिली फांसी की सज़ा: क्या होगा आगे?

बांग्लादेश की अंतरराष्ट्रीय अदालत ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को गंभीर आरोपों में फांसी की सज़ा सुनाई है। उनके दो सहयोगियों को भी समान दंड दिया गया है। हसीना वर्तमान में भारत में शरण लिए हुए हैं, जिससे यह सवाल उठता है कि आगे की कानूनी प्रक्रिया कैसे होगी। अदालत ने कहा कि हसीना पर निहत्थे नागरिकों पर बल प्रयोग की जिम्मेदारी है। भारत की भूमिका इस मामले में महत्वपूर्ण होगी, क्योंकि यदि वह सहयोग नहीं करता है, तो मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जा सकता है।
 

बांग्लादेश की अदालत का ऐतिहासिक फैसला


बांग्लादेश की अंतरराष्ट्रीय अदालत ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को गंभीर आरोपों में दोषी ठहराते हुए फांसी की सज़ा सुनाई है। इस निर्णय के तहत उनके दो करीबी सहयोगियों, पूर्व गृह मंत्री असदुज्जामान खान कमाल और पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून को भी समान दंड दिया गया है।


हिंसा के लिए जिम्मेदारी का आरोप

तीनों नेताओं पर पिछले वर्ष हुए छात्र विरोध प्रदर्शनों और उससे जुड़ी हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है। वर्तमान में, शेख हसीना भारत में शरण लिए हुए हैं, जिससे यह सवाल उठता है कि इस सज़ा को लागू करने की प्रक्रिया कैसे आगे बढ़ेगी। न्यायालय ने अपने 453 पन्नों के फैसले में कहा है कि जुलाई 2024 में हुए विद्रोह के दौरान निहत्थे नागरिकों पर बल प्रयोग और गोलीबारी की जिम्मेदारी सीधे हसीना पर है।


अदालत ने कहा कि यह कार्रवाई मानवता के खिलाफ अपराध की श्रेणी में आती है, इसलिए कठोर दंड दिया गया है। इसके अलावा, जनवरी 2024 के चुनावों के दौरान विपक्ष को दबाने और विरोधी आवाज़ों को कुचलने के कारण हसीना की तानाशाही प्रवृत्ति को भी अदालत ने रेखांकित किया। छात्रों द्वारा आरक्षण प्रणाली के खिलाफ किए गए आंदोलन को दबाने के लिए बल प्रयोग को भी गंभीर अपराध माना गया है।


आगे की कानूनी प्रक्रिया

अब यह देखना है कि दोषी ठहराए जाने के बाद कानूनी प्रक्रिया कैसे आगे बढ़ेगी। चूंकि हसीना सत्ता परिवर्तन के बाद भारत पहुंच गई थीं, इसलिए उन्हें हिरासत में लेने के लिए बांग्लादेश सरकार को अंतरराष्ट्रीय तंत्र का सहारा लेना होगा। इस दिशा में पहला कदम इंटरपोल के माध्यम से गिरफ्तारी वारंट जारी करना होगा।


इंटरपोल, जो दुनिया का सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय पुलिस संगठन है, अपने सदस्य देशों की पुलिस एजेंसियों के बीच तालमेल बनाकर अपराधियों की तलाश और गिरफ्तारी में मदद करता है। बांग्लादेश सरकार इंटरपोल से अनुरोध कर सकती है कि हसीना के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया जाए, जिसे वैश्विक स्तर पर गिरफ्तारी वारंट के समान माना जाता है। नोटिस जारी होने के बाद भारत को औपचारिक रूप से सूचित किया जाएगा और उनसे अपेक्षा की जाएगी कि वे हसीना को हिरासत में लेने में सहयोग करें।


भारत की महत्वपूर्ण भूमिका

इस स्थिति में भारत की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होगी। यदि भारत किसी कारणवश गिरफ्तारी या प्रत्यर्पण में सहयोग नहीं करता है, तो मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जा सकता है। बांग्लादेश इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र मंच पर ले जाकर भारत पर वैश्विक दबाव बनाने की कोशिश कर सकता है। आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि दोनों देशों की सरकारें इस संवेदनशील मामले को कैसे संभालती हैं।