बांग्लादेश की राजनीति में नया तूफान: किताब में खुलासा
बांग्लादेश की राजनीतिक उथल-पुथल
बांग्लादेश की राजनीतिक स्थिति एक बार फिर से संकट में है। हाल ही में प्रकाशित पुस्तक 'इंशाअल्लाह बांग्लादेश: द स्टोरी ऑफ एन अनफिनिश्ड रेवोल्यूशन' ने कुछ ऐसे तथ्य उजागर किए हैं, जिन्होंने देश की सत्ता और सेना को सवालों के घेरे में ला दिया है। इस पुस्तक के लेखकों दीप हालदार, जयदीप मजूमदार और साहिदुल हसन खोकोन का दावा है कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को उनके रिश्तेदार और सेना प्रमुख जनरल वाकर-उज-जमान ने CIA के इशारे पर सत्ता से हटाया।
CIA की साजिश का खुलासा
पुस्तक में पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमान खान कमाल के हवाले से कहा गया है कि यह घटनाक्रम एक सुनियोजित CIA योजना का हिस्सा था। उनके अनुसार, अमेरिकी खुफिया एजेंसी का उद्देश्य दक्षिण एशिया में प्रभावशाली नेताओं, जैसे नरेंद्र मोदी, शी जिनपिंग और हसीना को कमजोर करना था, ताकि अमेरिका अपने हितों की रक्षा कर सके।
सेंट मार्टिन द्वीप का भू-राजनीतिक महत्व
लेखकों ने बताया है कि इस साजिश के पीछे बंगाल की खाड़ी में स्थित सेंट मार्टिन द्वीप का भू-राजनीतिक महत्व भी एक प्रमुख कारण था। हसीना ने पहले ही कहा था कि, 'अगर मैं यह द्वीप अमेरिका को दे दूं तो मेरी सरकार बच सकती है, लेकिन यह देश की संप्रभुता के खिलाफ होगा।' मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, अमेरिका इस द्वीप पर अपने सामरिक प्रभाव को बढ़ाना चाहता था, क्योंकि यह म्यांमार सीमा के निकट एक महत्वपूर्ण स्थान पर स्थित है।
हसीना की स्थिति और साजिश
पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमान ने कहा कि जनरल वाकर ने हसीना को गिराने के लिए कट्टरपंथी संगठनों और जमात-ए-इस्लामी से गठजोड़ किया। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, 'जैसे महाभारत में अभिमन्यु को अपने ही लोगों ने घेरकर मारा, वैसे ही वाकर ने हसीना को सत्ता से बेदखल करने के लिए अपने ही लोगों के साथ साजिश की।' किताब के अनुसार, इस साजिश की योजना दिल्ली के एक होटल में बनाई गई थी, जहां आवामी लीग के दो पूर्व सांसद भी मौजूद थे।
जनरल वाकर का पहला मिशन
जनरल वाकर-उज-जमान ने जून 2024 में सेना प्रमुख का पद संभाला और महज दो महीने बाद, 5 अगस्त को, हसीना को देश छोड़ने पर मजबूर कर दिया गया। किताब में लिखा है कि 'यह जनरल का पहला सीक्रेट मिशन था — उसी नेता को गिराना जिसने उसे सेना प्रमुख बनाया।'
बांग्लादेश में सेना की भूमिका
यह पुस्तक ऐसे समय में आई है जब बांग्लादेश में सेना की भूमिका और मानवाधिकार उल्लंघनों पर सवाल उठ रहे हैं। 11 अक्टूबर को खबर आई थी कि सेना ने अपने 15 अधिकारियों को हिरासत में लिया है, जो हसीना शासन के दौरान विपक्षियों के गायब होने के मामलों से जुड़े थे।
पुस्तक में अन्य खुलासे
पुस्तक में यह भी बताया गया है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI लंबे समय से जमात-ए-इस्लामी के साथ काम कर रही थी। कुछ ISI-प्रशिक्षित लोग इन संगठनों में घुसपैठ कर चुके थे, जिन्होंने जून के अंत में पुलिसकर्मियों की हत्या में भूमिका निभाई। गृह मंत्री असदुज्जमान ने प्रधानमंत्री को स्थिति की गंभीरता बताई, लेकिन उन्हें जवाब मिला कि 'सेना प्रमुख स्थिति संभाल लेंगे।' जनरल वाकर ने हसीना को भरोसा दिलाया कि 'फौज हालात पर काबू पा लेगी।'