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बांग्लादेश की राजनीति में हलचल: तारीक रहमान की वापसी पर उठे सवाल

तारीक रहमान की 17 साल बाद बांग्लादेश में वापसी ने राजनीतिक माहौल में हलचल मचा दी है। विपक्षी छात्र संगठन, बांग्लादेश स्टूडेंट्स लीग ने उनकी वापसी को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। सद्दाम हुसैन ने कहा कि यह कदम लोकतांत्रिक सुधार के लिए नहीं, बल्कि चुनावों को प्रभावित करने के लिए है। रहमान की वापसी के समय देश में तनावपूर्ण हालात हैं, और छात्र नेता की हत्या के बाद हिंसक प्रदर्शन भी हुए हैं। जानें इस राजनीतिक संकट के बारे में और क्या कहते हैं अन्य नेता।
 

तारीक रहमान की बांग्लादेश में वापसी


बांग्लादेश के पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बेटे और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष तारीक रहमान की 17 साल बाद बांग्लादेश लौटने ने राजनीतिक माहौल में हलचल मचा दी है। उनकी वापसी के बाद, विपक्षी छात्र संगठन, बांग्लादेश स्टूडेंट्स लीग ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।


सद्दाम हुसैन के आरोप

स्टूडेंट्स लीग के अध्यक्ष सद्दाम हुसैन ने कहा कि तारीक रहमान की वापसी का उद्देश्य लोकतांत्रिक सुधार नहीं, बल्कि अगले साल फरवरी में होने वाले संसदीय चुनाव को अपने पक्ष में एकतरफा करने के लिए एक 'बैकडोर डील' है। उनका मानना है कि इससे देश में स्थिरता नहीं आएगी, बल्कि राजनीतिक ध्रुवीकरण और बढ़ेगा।


उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जब रहमान सत्ता में थे, तब देश में कानून-व्यवस्था में गिरावट आई, उग्रवाद बढ़ा, अल्पसंख्यकों के अधिकारों का उल्लंघन हुआ और भ्रष्टाचार के कई मामले सामने आए। सद्दाम ने कहा कि रहमान कई मामलों में दोषी रहे हैं और उन्हें न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर वापस लाया गया है।


लंदन से लौटे तारीक रहमान

तारीक रहमान 2008 से लंदन में रह रहे थे। बांग्लादेशी मीडिया के अनुसार, उनका विमान सुबह लगभग 9:56 बजे सिलहट के उस्मानी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरा। उनके स्वागत के लिए बड़ी संख्या में BNP समर्थक और नेता मौजूद थे। पार्टी ने इसे अपने लिए एक नए अध्याय की शुरुआत बताया।


उनकी वापसी ऐसे समय में हुई है जब बांग्लादेश में हालात तनावपूर्ण हैं। हाल ही में छात्र नेता उस्मान हादी की हत्या के बाद कई स्थानों पर हिंसक प्रदर्शन हुए हैं और आम चुनाव के मद्देनजर कानून-व्यवस्था, अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और निष्पक्ष चुनाव को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं।


चुनावों को लेकर बढ़ती चिंताएं

यूनुस सरकार द्वारा अवामी लीग को चुनाव लड़ने से रोकने के फैसले ने भी विवाद को बढ़ा दिया है। छात्र संगठन का कहना है कि इससे जनता की आवाज दबाई जा रही है और चुनाव की निष्पक्षता पर सवाल उठ रहे हैं। सद्दाम हुसैन ने चेतावनी दी है कि यदि राजनीतिक प्रक्रिया समावेशी और लोकतांत्रिक नहीं बनी, तो बांग्लादेश का राजनीतिक संकट और गहरा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि निष्पक्ष चुनाव के लिए सरकार का कानूनी, संवैधानिक और तटस्थ होना आवश्यक है, लेकिन वर्तमान स्थिति में यह शर्तें पूरी नहीं हो रही हैं।