बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर बढ़ती हिंसा: पूर्व पीएम शेख हसीना का कड़ा बयान
शेख हसीना का गंभीर बयान
नई दिल्ली: बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदू समुदाय के खिलाफ बढ़ती हिंसा के बीच, पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने एक गंभीर बयान दिया है। क्रिसमस के अवसर पर अपने संदेश में उन्होंने वर्तमान सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि देश में एक 'अवैध सरकार' के कारण सभी धर्मों के लोगों की धार्मिक स्वतंत्रता खतरे में है।
क्रिसमस संदेश में तीखा हमला
शेख हसीना ने कहा कि मौजूदा शासन न केवल लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर कर रहा है, बल्कि नागरिकों को अपने धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता से भी वंचित कर रहा है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि विशेष रूप से गैर-मुस्लिम समुदायों को निशाना बनाया जा रहा है, और धार्मिक अल्पसंख्यकों पर अत्याचार अब एक गंभीर मानवीय संकट बन चुका है।
अल्पसंख्यकों पर बढ़ते अत्याचार
पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि बांग्लादेश में ऐसी भयावह घटनाएं हो रही हैं, जिनमें लोगों को जिंदा जलाने और पीट-पीटकर मारने जैसे अमानवीय कृत्य शामिल हैं। उन्होंने इसे देश के इतिहास का काला दौर बताते हुए कहा कि आम जनता अब इस स्थिति को और सहन नहीं कर सकती। शेख हसीना ने विश्वास जताया कि बांग्लादेश के लोग एकजुट होकर इस स्थिति को बदलेंगे।
ईसा मसीह के संदेशों का स्मरण
क्रिसमस के अवसर पर, शेख हसीना ने विश्वभर के ईसाई समुदाय को शुभकामनाएं दीं और ईसा मसीह के विचारों और बलिदान को याद किया। उन्होंने कहा कि ईसा मसीह मानवता के उद्धारक और शांति के प्रतीक थे, और उनके संदेशों ने दुनिया को करुणा, प्रेम और न्याय का मार्ग दिखाया है।
बांग्लादेश में हिंसा की घटनाएं जारी
शेख हसीना के बयान के बीच, बांग्लादेश में एक और हिंसक घटना सामने आई है। राजबारी जिले के पांग्शा उपज़िला में एक हिंदू युवक की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। यह घटना कालीमोहर यूनियन के होसेनडांगा गांव में रात करीब 11 बजे हुई।
जबरन वसूली के आरोप में युवक की मौत
पुलिस के अनुसार, मृतक की पहचान अमृत मंडल उर्फ सम्राट के रूप में हुई है। आरोप है कि भीड़ ने उस पर जबरन वसूली का आरोप लगाकर हमला किया, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। हालांकि, पुलिस अब मृतक को ही अपराधी बताने की कोशिश कर रही है, जिससे मानवाधिकार संगठनों और अल्पसंख्यक समुदायों में नाराजगी बढ़ रही है।
पुलिस कार्रवाई पर उठ रहे सवाल
सहायक पुलिस अधीक्षक देब्रता सरकार ने घटना की पुष्टि की है और जांच की बात कही है, लेकिन लगातार हो रही ऐसी घटनाओं ने कानून व्यवस्था और निष्पक्ष जांच प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा के मामलों में अक्सर पीड़ितों को ही दोषी ठहरा दिया जाता है।
मानवाधिकारों का सवाल
इन घटनाओं के कारण बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता बढ़ रही है। शेख हसीना का बयान मौजूदा सरकार के लिए एक चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है, और यह संकेत देता है कि भविष्य में बांग्लादेश की राजनीति और सामाजिक हालात और अधिक चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं।