बांग्लादेश में राजनीतिक उथल-पुथल: छात्र नेता की हत्या के बाद हिंसा का दौर
बांग्लादेश में बढ़ती हिंसा
नई दिल्ली: वर्तमान में बांग्लादेश गंभीर राजनीतिक और सामाजिक संकट का सामना कर रहा है। छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी की हत्या के बाद देश के विभिन्न हिस्सों में हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। इस बीच, अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस ने स्पष्ट रूप से कहा है कि "नए बांग्लादेश में हिंसा, भीड़तंत्र और नफरत के लिए कोई स्थान नहीं है।"
सरकार की कड़ी प्रतिक्रिया
अंतरिम सरकार ने एक आधिकारिक बयान जारी कर हिंसा, आगजनी, और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की घटनाओं की निंदा की। सरकार ने कहा कि यह बांग्लादेश के इतिहास का एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जब देश लोकतांत्रिक परिवर्तन की ओर बढ़ रहा है। ऐसे समय में कुछ "हाशिए के तत्व" अराजकता फैलाने की कोशिश कर रहे हैं, जिन्हें किसी भी हाल में सफल नहीं होने दिया जाएगा।
सरकार ने सभी नागरिकों से संयम बरतने और भीड़ हिंसा का विरोध करने की अपील की। बयान में कहा गया कि आगामी चुनाव और जुलाई में होने वाला चार्टर जनमत संग्रह केवल राजनीतिक प्रक्रियाएं नहीं हैं, बल्कि यह देश के भविष्य के प्रति एक राष्ट्रीय संकल्प हैं, जो हादी के सपनों से भी जुड़े हैं।
मीडिया पर हमले और माफी
हिंसक प्रदर्शनों के दौरान प्रमुख मीडिया संस्थानों - प्रोथोम आलो, द डेली स्टार और न्यू एज के दफ्तरों पर हमले हुए। कुछ स्थानों पर आगजनी भी हुई, जिससे कई पत्रकार इमारतों में फंस गए। हालात को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षाबलों को तैनात किया गया और दमकल कर्मियों ने पत्रकारों को सुरक्षित बाहर निकाला।
अंतरिम सरकार ने इन घटनाओं पर गहरा खेद व्यक्त करते हुए पत्रकारों से माफी मांगी। सरकार ने कहा, "पत्रकारों पर हमला सच पर हमला है। आपने जिस साहस और धैर्य का परिचय दिया है, देश उसका गवाह है। दोषियों को सजा जरूर मिलेगी।"
हिंदू युवक की हत्या पर सख्त रुख
सरकार ने कथित ईशनिंदा के आरोप में एक हिंदू युवक की नृशंस हत्या की भी कड़ी आलोचना की। रिपोर्टों के अनुसार, मयमनसिंह जिले में दीपु चंद्र दास नामक युवक को भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला, फिर शव को पेड़ से लटकाकर जला दिया। सरकार ने स्पष्ट किया कि इस जघन्य अपराध के दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा और यह घटना नए बांग्लादेश की मूल भावना के खिलाफ है।
हादी की हत्या का प्रभाव
छात्र आंदोलन से उभरे नेता शरीफ उस्मान हादी की हत्या ने पूरे देश को झकझोर दिया है। वह इनकिलाब मंच के संयोजक थे और पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके थे। चुनाव प्रचार के दौरान ढाका में उन पर हमला हुआ, जिसके बाद उन्हें इलाज के लिए सिंगापुर ले जाया गया, जहां छह दिन बाद उनकी मृत्यु हो गई।
हादी की मौत के बाद ढाका के शाहबाग समेत कई क्षेत्रों में हजारों समर्थक सड़कों पर उतर आए। सरकार ने उनकी मृत्यु को लोकतांत्रिक जीवन के लिए बड़ा आघात बताते हुए एक दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है।