बायजूस के संस्थापक पर डेलावेयर कोर्ट का बड़ा फैसला, 1.07 बिलियन डॉलर का भुगतान आदेश
नई दिल्ली में बायजूस के संस्थापक पर कार्रवाई
नई दिल्ली: अमेरिका की डेलावेयर दिवालिया अदालत ने बायजूस के संस्थापक बायजु रवींद्रन के खिलाफ एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए उन्हें 1.07 बिलियन डॉलर से अधिक की राशि चुकाने का आदेश दिया है.
डिफॉल्ट जजमेंट का मामला
यह निर्णय बायजूस अल्फा कंपनी की अमेरिकी वित्तीय शाखा से जुड़े फंड ट्रांसफर और आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत न करने के कारण 'डिफॉल्ट जजमेंट' के रूप में लिया गया है। रवींद्रन ने इस आदेश को गलत बताते हुए कहा कि उन्हें अपनी दलील पेश करने का अवसर नहीं मिला और वे इस फैसले को चुनौती देने का इरादा रखते हैं.
डेलावेयर कोर्ट का निर्णय
डेलावेयर बैंकक्रप्सी कोर्ट के जज ब्रेंडन शैनन ने रवींद्रन को 1.07 बिलियन डॉलर से अधिक का भुगतान करने का निर्देश दिया है। यह निर्णय तब आया जब रवींद्रन कई बार कोर्ट में उपस्थित नहीं हुए और न ही उन्होंने मांगे गए दस्तावेज प्रस्तुत किए। 'डिफॉल्ट जजमेंट' तब जारी किया जाता है जब कोई पक्ष कानूनी प्रक्रिया में भाग नहीं लेता या कोर्ट के आदेशों की अनदेखी करता है। अदालत ने बिना ट्रायल के सीधे निर्णय सुनाया है.
रवींद्रन का बयान
फैसले के बाद, बायजु रवींद्रन ने सभी आरोपों का खंडन किया। उन्होंने कहा कि कोर्ट ने मामले को जल्दी निपटाया और उन्हें अपनी दलील पेश करने का उचित अवसर नहीं दिया। उनके अनुसार, 'कोर्ट ने कई महत्वपूर्ण तथ्यों को नजरअंदाज कर दिया। यह फैसला जल्दबाजी में सुनाया गया, जिसमें हमारा पक्ष सुना ही नहीं गया।' रवींद्रन ने संकेत दिया कि वे इस आदेश को उच्च अदालत में चुनौती देंगे.
बायजूस अल्फा की स्थापना
बायजूस अल्फा को 2021 में डेलावेयर में एक विशेष उद्देश्य वाहन (SPV) के रूप में स्थापित किया गया था, ताकि वैश्विक ऋणदाताओं द्वारा दिए गए 1.2 बिलियन डॉलर के टर्म लोन का प्रबंधन किया जा सके। यह इकाई किसी ऑपरेशनल बिजनेस में शामिल नहीं थी, बल्कि केवल लोन राशि संभालने के लिए बनाई गई थी. अदालत के दस्तावेजों से पता चला कि अल्फा से 533 मिलियन डॉलर मियामी की एक छोटी हेज फंड कंपनी 'कैमशाफ्ट कैपिटल' को भेजे गए और फिर कई संबद्ध संस्थाओं के जरिए आगे ट्रांसफर किए गए.
धन हस्तांतरण पर अदालत की टिप्पणियां
अदालत में दायर दस्तावेजों के अनुसार, अल्फा से भेजी गई इस बड़ी राशि का कोई लाभ अल्फा को वापस नहीं मिला। कुछ रकम इंस्पाइलेर्न और फिर एक विदेशी ट्रस्ट में स्थानांतरित की गई, जिससे पारदर्शिता पर सवाल उठे। हालांकि, बायजु रवींद्रन का कहना है कि इन फंड्स का उपयोग बायजूस की मूल कंपनी 'थिंक एंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड' के लाभ के लिए किया गया और इसका संस्थापकों को कोई निजी लाभ नहीं हुआ. वे इसे गलत तरीके से पेश किया गया मामला बताते हैं.
कंपनी की स्थिति
डिफॉल्ट जजमेंट के बाद कंपनी पर वित्तीय और कानूनी दबाव बढ़ गया है। रवींद्रन का कहना है कि जीएलएएस ट्रस्ट लोन के ट्रस्टी को पहले से पता था कि फंड्स का इस्तेमाल कंपनी के संचालन के लिए हो रहा है। इस मामले का असर बायजूस की छवि और वैश्विक निवेशकों के विश्वास पर भी पड़ सकता है। कंपनी ने संकेत दिया कि वह अदालत में विस्तृत अपील दायर करके अपना पक्ष रखना चाहती है.