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बोंडी बीच पर आतंकवादी हमले में अहमद अल अहमद की बहादुरी

ऑस्ट्रेलिया के बोंडी बीच पर एक आतंकवादी हमले के दौरान, 43 वर्षीय अहमद अल अहमद ने अपनी जान की परवाह किए बिना एक बंदूकधारी का सामना किया। उनके साहसिक कदम ने कई लोगों की जान बचाई, लेकिन वे गंभीर रूप से घायल हो गए। अहमद के अंतिम शब्द उनके परिवार के लिए एक गहरी चोट बने हुए हैं। इस घटना में 15 निर्दोष लोगों की जान गई, और अहमद की बहादुरी अब मानवता की एक मिसाल बन गई है। जानें पूरी कहानी में क्या हुआ।
 

बोंडी बीच पर हुआ आतंकवादी हमला


रविवार को ऑस्ट्रेलिया के बोंडी बीच पर एक आतंकवादी हमला हुआ। इस घटना के दौरान 43 वर्षीय अहमद अल अहमद ने अपनी जान की परवाह किए बिना एक बंदूकधारी आतंकवादी का सामना किया और उसकी बंदूक छीन ली। इस साहसिक कार्य के चलते वे गंभीर रूप से घायल हो गए, लेकिन उनके इस कदम ने कई लोगों की जान बचाई। हमलावर से भिड़ने से पहले उन्होंने अपने परिवार के लिए जो कहा, वह बेहद भावुक करने वाला था।


साहसिकता का अद्भुत उदाहरण

हमले के समय, अहमद एक कार के पीछे छिपे हुए थे, जब उन्होंने अचानक बंदूकधारी पर कूदने का निर्णय लिया। दोनों के बीच संघर्ष हुआ और अहमद ने हमलावर की राइफल छीन ली। इस घटना के बाद, हमलावर डरकर पार्किंग की ओर भाग गया, जिससे वहां मौजूद कई लोग सुरक्षित हो गए।


अहमद के अंतिम शब्द

अहमद के चचेरे भाई जोजे अलकंज ने बताया कि हमले से पहले अहमद ने कहा था, 'मुझे लगता है मैं मर जाऊंगा। अगर ऐसा हुआ, तो मेरे परिवार से कहना कि मैंने लोगों की जान बचाने की कोशिश की।' ये शब्द उनके परिवार के लिए आज भी एक गहरी चोट बने हुए हैं।


गंभीर चोटें और सर्जरी

अहमद के माता-पिता कुछ महीने पहले ही सीरिया से ऑस्ट्रेलिया आए थे। जब उन्हें बेटे के घायल होने की सूचना मिली, तो उनकी मां रो पड़ीं। अहमद को पांच गोलियां लगी हैं और उनके कंधे में अभी भी गोलियां फंसी हुई हैं। उन्हें कई सर्जरी से गुजरना होगा।


समानता का संदेश

परिवार का कहना है कि अहमद हमेशा दूसरों की मदद के लिए तत्पर रहते थे। उनके पिता ने बताया कि उनके बेटे ने कभी किसी के साथ भेदभाव नहीं किया। ऑस्ट्रेलिया में सभी लोग समान हैं, और अहमद ने इसी सोच के साथ लोगों की जान बचाई।


हमले की भयावहता

इस आतंकवादी हमले में 15 निर्दोष लोगों की जान गई, जिनमें एक 10 साल की बच्ची भी शामिल थी। 27 लोग अस्पताल में भर्ती हैं। पुलिस ने हमलावर पिता-पुत्र को मार गिराया। अहमद की बहादुरी अब इस दुखद घटना में मानवता की एक मिसाल बन गई है।