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भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर राजनीतिक हलचल तेज

भारत और अमेरिका के बीच संभावित व्यापार समझौते को लेकर राजनीतिक गतिविधियाँ तेज हो गई हैं। राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी पर आरोप लगाया है कि वे अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की टैरिफ समयसीमा के आगे झुकेंगे। केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने स्पष्ट किया है कि भारत तब तक कोई समझौता नहीं करेगा जब तक देश के हितों की रक्षा न हो। जानें इस मुद्दे पर क्या हैं मुख्य गतिरोध और भारत की मांगें।
 

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते की चर्चा

भारत-अमेरिका व्यापार समझौता: अमेरिका के साथ संभावित व्यापार समझौते को लेकर देश में राजनीतिक गतिविधियाँ बढ़ गई हैं। कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाया है कि वे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा निर्धारित टैरिफ की समयसीमा के आगे झुकने वाले हैं। यह बयान तब आया है जब ट्रंप के द्वारा लागू की जाने वाली टैरिफ की समयसीमा में केवल तीन दिन बचे हैं।


मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि भारत तब तक अमेरिका के साथ कोई व्यापार समझौता नहीं करेगा जब तक कि देश के हितों की पूरी सुरक्षा न हो जाए। हालांकि, राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर कटाक्ष करते हुए कहा, "पीयूष गोयल अपनी छाती पीट सकते हैं, लेकिन याद रखें, मोदी ट्रंप की तय समयसीमा के आगे झुकेंगे।"


अंतरिम व्यापार समझौते पर संभावित हस्ताक्षर

अंतरिम व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर


सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, भारत और अमेरिका के बीच 9 जुलाई की समयसीमा से पहले एक अंतरिम व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर होने की संभावना है। हालांकि, कई मुद्दे अभी भी अटके हुए हैं। अमेरिका ने पहले ही भारत पर 'टैरिफ किंग' होने का आरोप लगाया था। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2 अप्रैल को घोषणा की थी कि भारत के उत्पादों पर 26 प्रतिशत का टैक्स लगाया जाएगा, जिसे 90 दिनों के लिए स्थगित कर दिया गया था। अब यह छूट की समयसीमा समाप्त होने वाली है।


कृषि और डेयरी क्षेत्र में गतिरोध

कृषि और डेयरी क्षेत्र को लेकर बड़ा गतिरोध


सबसे बड़ा गतिरोध कृषि और डेयरी क्षेत्र को लेकर है। भारत अमेरिका से मक्का और सोयाबीन जैसे उत्पादों पर टैरिफ घटाने के लिए तैयार नहीं है। वहीं, ट्रंप प्रशासन भारत में अमेरिकी डेयरी कंपनियों की पहुंच बढ़ाना चाहता है। भारत का मानना है कि इस क्षेत्र में 80 मिलियन लोगों को रोजगार मिलता है, इसलिए इस पर समझौता नहीं किया जा सकता। भारत की मांग है कि अमेरिका कपड़ा, रत्न-आभूषण, चमड़ा और रसायन जैसे श्रम-प्रधान उत्पादों को अपने बाजार में प्रवेश देने के लिए सहमत हो।


समझौते के लिए दबाव नहीं

दबाव में सौदा नहीं है मंजूर


भारत की वार्ता टीम के प्रमुख विशेष सचिव राजेश अग्रवाल इस समय वाशिंगटन में हैं और उन्होंने अपनी यात्रा को बढ़ा दिया है। फिर भी कोई अंतिम सहमति नहीं बन सकी है। दिल्ली के एक व्यापारिक कार्यक्रम में गोयल ने कहा, "हम समय के दबाव में सौदा नहीं करेंगे। भारत तभी समझौता करेगा जब वह एक जीत-जीत सौदा हो।"