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भारत और ब्रिटेन के बीच ऐतिहासिक व्यापार समझौता

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने अपनी पहली भारत यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी के साथ महत्वपूर्ण द्विपक्षीय चर्चा की। इस बैठक में भारत और ब्रिटेन के बीच हुए मुक्त व्यापार समझौते पर जोर दिया गया, जिसे दोनों देशों के लिए ऐतिहासिक माना जा रहा है। इस समझौते का उद्देश्य द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाना और व्यापारिक संबंधों को मजबूत करना है। जानें इस समझौते के पीछे की रणनीतियों और इसके संभावित लाभों के बारे में।
 

भारत-यूके संबंधों की नई दिशा

भारत-यूके संबंध: ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने अपनी पहली भारत यात्रा के दौरान मुंबई में प्रधानमंत्री मोदी के साथ द्विपक्षीय वार्ता की। यह मुलाकात व्यापारिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक रही। चर्चा का मुख्य फोकस दोनों देशों के बीच व्यापार, प्रौद्योगिकी सहयोग और रणनीतिक संबंधों को मजबूत करना था। प्रधानमंत्री मोदी ने एक संयुक्त बयान में कहा, 'प्रधानमंत्री स्टारमर के नेतृत्व में भारत और ब्रिटेन के संबंधों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। इस वर्ष जुलाई में, मैंने ब्रिटेन की यात्रा के दौरान ऐतिहासिक व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौते (सीईटीए) पर हस्ताक्षर किए।'


दोनों नेताओं ने मुंबई में द्विपक्षीय बैठक के दौरान इस वर्ष की शुरुआत में हस्ताक्षरित मुक्त व्यापार समझौते के शीघ्र कार्यान्वयन पर जोर दिया।


मुक्त व्यापार समझौता

जुलाई में हुए मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को महत्वपूर्ण बताते हुए स्टार्मर ने कहा, 'यूरोपीय संघ से बाहर निकलने के बाद यह हमारा सबसे बड़ा समझौता है। मुझे लगता है कि यह भारत का भी अब तक का सबसे बड़ा समझौता है, इसलिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण है।'


प्रधानमंत्री मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर की मुलाकात


यहां दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों की कुछ शानदार तस्वीरें साझा की गई हैं।





जुलाई 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ब्रिटेन यात्रा के दौरान भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर हस्ताक्षर किए गए थे। यह समझौता दोनों देशों के लिए ऐतिहासिक माना जा रहा है क्योंकि इसका मुख्य उद्देश्य द्विपक्षीय व्यापार को नए स्तर तक ले जाना है। इस समझौते के तहत कई प्रकार की वस्तुओं और सेवाओं पर शुल्क में कमी लाई जाएगी, जिससे दोनों देशों के व्यापारियों और निवेशकों को सीधा लाभ मिलेगा।


विशेषज्ञों का मानना है कि यह सौदा भारतीय कंपनियों के लिए यूरोपीय बाजार तक पहुंच आसान करेगा, वहीं ब्रिटेन को भी भारत जैसे विशाल बाजार में अधिक अवसर मिलेंगे। इससे न केवल निर्यात और आयात को गति मिलेगी बल्कि रोजगार और निवेश की संभावनाएं भी काफी बढ़ेंगी। इस समझौते का एक बड़ा लक्ष्य भारत और ब्रिटेन के बीच द्विपक्षीय व्यापार को सालाना 25.5 बिलियन पाउंड तक बढ़ाना है।