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भारत और रूस के बीच आर्थिक संबंधों में नई गति, फ्री ट्रेड एग्रीमेंट की शुरुआत

भारत और रूस के बीच आर्थिक संबंधों में नई गति देखने को मिल रही है, जिसमें फ्री ट्रेड एग्रीमेंट की बातचीत शुरू हो चुकी है। रूस ने भारतीय उत्पादों की उपस्थिति बढ़ाने की उम्मीद जताई है, जो वैश्विक व्यापार में संरक्षणवाद के बीच एक महत्वपूर्ण कदम है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह समझौता अमेरिका के लिए एक रणनीतिक झटका साबित हो सकता है। जानें इस समझौते के पीछे की रणनीतियाँ और इसके संभावित प्रभाव।
 

भारत-रूस आर्थिक संबंधों में नई दिशा


नई दिल्ली: भारत और रूस के बीच आर्थिक संबंधों को नई गति मिलने के संकेत मिल रहे हैं। रूस ने आशा व्यक्त की है कि भविष्य में भारतीय उत्पादों की उपस्थिति रूसी बाजारों में काफी बढ़ेगी। इसका मुख्य कारण भारत और रूस के बीच प्रस्तावित फ्री ट्रेड एग्रीमेंट है, जिस पर औपचारिक बातचीत शुरू हो चुकी है। यह पहल ऐसे समय में सामने आई है जब वैश्विक व्यापार में संरक्षणवाद और उच्च टैरिफ के कारण तनाव बना हुआ है।


फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर बातचीत की प्रगति

रूसी उप प्रधानमंत्री एलेक्सी ओवरचुक ने बताया कि भारत के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर बातचीत का पहला चरण पूरा हो चुका है। उनके अनुसार, भारत न केवल एक विशाल बाजार है, बल्कि यह तेजी से विकसित होती अर्थव्यवस्था भी है। ओवरचुक ने भारत को रूस का करीबी और विश्वसनीय मित्र बताया। उन्होंने संकेत दिया कि विशेष व्यापार समझौतों के माध्यम से दोनों देश आपसी व्यापार को और सरल बनाएंगे।


भारत-रूस फ्री ट्रेड एग्रीमेंट का खाका

भारत ने रूस के नेतृत्व वाले यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन के साथ एफटीए वार्ता शुरू करने की आधिकारिक घोषणा की है। इस यूनियन में रूस के अलावा आर्मेनिया, बेलारूस, कजाकिस्तान और किर्गिस्तान शामिल हैं। समझौते के लिए लगभग 18 महीने का रोडमैप तैयार किया गया है, जिसका उद्देश्य भारतीय एमएसएमई, किसानों और मछुआरों को नए निर्यात बाजार उपलब्ध कराना है।


अमेरिका के लिए संभावित झटका

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत-रूस एफटीए अमेरिका के लिए एक रणनीतिक झटका साबित हो सकता है। हाल के वर्षों में अमेरिका ने भारतीय उत्पादों पर भारी टैरिफ लगाए हैं। ऐसे में रूस और ईएईयू के साथ मुक्त व्यापार समझौता भारतीय निर्यातकों के लिए एक नया विकल्प प्रस्तुत कर सकता है। इससे भारत को पश्चिमी बाजारों पर निर्भरता को कुछ हद तक कम करने में मदद मिल सकती है।


दशकों पुरानी रणनीतिक साझेदारी

भारत और रूस के संबंध केवल व्यापार तक सीमित नहीं हैं। अक्टूबर 2000 में सामरिक भागीदारी घोषणापत्र पर हस्ताक्षर के बाद दोनों देशों के संबंधों में महत्वपूर्ण विस्तार हुआ। दिसंबर 2010 में इस रिश्ते को विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी का दर्जा दिया गया। रक्षा, ऊर्जा, विज्ञान, तकनीक और संस्कृति जैसे क्षेत्रों में दोनों देशों का सहयोग लगातार बढ़ता जा रहा है।


व्यापारिक तंत्र और भविष्य की दिशा

भारत-रूस अंतर सरकारी आयोग व्यापार और आर्थिक सहयोग का प्रमुख मंच है। इसका 26वां सत्र अगस्त 2025 में मॉस्को में आयोजित किया गया था। बैठक में टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाओं को समाप्त करने, लॉजिस्टिक्स में सुधार और भुगतान तंत्र को मजबूत करने पर जोर दिया गया। दोनों पक्षों ने 2030 तक आर्थिक सहयोग कार्यक्रम को अंतिम रूप देने और एफटीए को शीघ्र पूरा करने की प्रतिबद्धता दोहराई।