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भारत की UPI प्रणाली: डिजिटल भुगतान में वैश्विक नेतृत्व की ओर

भारत की यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) प्रणाली ने डिजिटल भुगतान में वैश्विक नेतृत्व हासिल किया है। हाल ही में, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने इसे तेज भुगतान में लीडर के रूप में मान्यता दी है। यूपीआई ने जून 2025 में 18.39 बिलियन लेनदेन के साथ एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। यह प्रणाली अब 491 मिलियन लोगों और 65 मिलियन व्यवसायों को सेवाएं दे रही है। यूपीआई की सफलता की कहानी न केवल भारत में, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी गूंज रही है, जहां यह कई देशों में उपलब्ध है। जानें कैसे यूपीआई ने आम आदमी की जिंदगी को बदल दिया है और इसके पीछे की मजबूत नींव क्या है।
 

भारत की UPI प्रणाली की सफलता

नई दिल्ली (रितिन खन्ना): अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने हाल ही में भारत को तेज भुगतान में वैश्विक नेता के रूप में मान्यता दी है। इस क्रांति का मुख्य आधार भारत का यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) है, जिसने देश में डिजिटल लेनदेन की परिभाषा को पूरी तरह से बदल दिया है। जून 2025 में 18.39 बिलियन लेनदेन के माध्यम से 24 लाख करोड़ रुपए से अधिक का ट्रांजैक्शन कर यूपीआई ने एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है।


नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) द्वारा 2016 में शुरू किया गया यह प्लेटफॉर्म आज भारत के 85% डिजिटल भुगतानों का संचालन करता है।


यूपीआई की अभूतपूर्व सफलता के आंकड़े
आंकड़ों के अनुसार, यूपीआई की सफलता अद्वितीय है। पिछले एक वर्ष में इसके लेनदेन की संख्या में लगभग 32% की वृद्धि हुई है; जून 2024 के 13.88 बिलियन लेनदेन की तुलना में यह आंकड़ा जून 2025 में 18.39 बिलियन तक पहुंच गया। वर्तमान में, यह प्रणाली 491 मिलियन उपयोगकर्ताओं और 65 मिलियन व्यवसायों को सेवाएं प्रदान कर रही है, और 675 बैंकों को एक ही मंच पर सफलतापूर्वक एकीकृत करती है। यूपीआई की वैश्विक हिस्सेदारी भी उल्लेखनीय है, जो दुनिया भर में होने वाले कुल रियल-टाइम डिजिटल भुगतानों का लगभग 50% संचालित करती है।


दुनिया की सबसे बड़ी भुगतान कंपनी को पीछे छोड़ना
दैनिक लेनदेन के मामले में यूपीआई ने वीजा जैसी बड़ी भुगतान कंपनी को भी पीछे छोड़ दिया है। जहां वीजा प्रतिदिन 639 मिलियन ट्रांजैक्शन प्रोसेस करता है, वहीं यूपीआई अब हर दिन 640 मिलियन से अधिक ट्रांजैक्शन संभाल रहा है। यह उपलब्धि यूपीआई के लिए विशेष है, क्योंकि इसे केवल नौ वर्षों में हासिल किया गया है।


यूपीआई की वैश्विक पहुंच
यूपीआई की सफलता की कहानी अब भारत की सीमाओं से बाहर भी सुनाई दे रही है, जो इसकी बढ़ती वैश्विक उपस्थिति को दर्शाता है। यह भुगतान प्रणाली पहले से ही सात देशों- संयुक्त अरब अमीरात, सिंगापुर, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, फ्रांस और मॉरीशस में उपलब्ध है। फ्रांस में इसका प्रवेश एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, क्योंकि यह यूरोप में यूपीआई का पहला कदम है। भारत अब यूपीआई को ब्रिक्स (BRICS) समूह में एक मानक भुगतान प्रणाली बनाने के लिए भी प्रयास कर रहा है।


आम आदमी की जिंदगी में बदलाव
यूपीआई ने डिजिटल भुगतान को भारत में रोजमर्रा की जिंदगी का अभिन्न हिस्सा बना दिया है। इसने लेनदेन को सरल, तेज और सुरक्षित बना दिया है। अब लोग बैंक खुलने का इंतजार किए बिना 24×7 कभी भी, कहीं भी तुरंत पैसे भेज सकते हैं। एक ही मोबाइल ऐप से अपने सभी बैंक खातों का प्रबंधन करना संभव हो गया है, जिससे वित्तीय प्रबंधन बेहद सरल हो गया है। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि इसने गोपनीयता और सुरक्षा को बढ़ाया है; अब भुगतान के लिए बैंक विवरण साझा करने की कोई आवश्यकता नहीं है, केवल एक यूपीआई आईडी ही पर्याप्त है और टू-स्टेप ऑथेंटिकेशन इसे और भी सुरक्षित बनाता है। क्यूआर कोड स्कैन करके भुगतान करने की सुविधा ने छोटे दुकानदारों से लेकर बड़े शोरूम तक, हर जगह लेनदेन को अविश्वसनीय रूप से तेज और सुविधाजनक बना दिया है।


सफलता के पीछे की मजबूत नींव
यूपीआई का यह उदय कोई संयोग नहीं है, बल्कि वर्षों की योजना और एक मजबूत डिजिटल बुनियादी ढांचे में निवेश का परिणाम है। इस सफलता के पीछे तीन प्रमुख स्तंभ हैं। पहला, प्रधानमंत्री जन-धन योजना, जिसके तहत 9 जुलाई, 2025 तक 55.83 करोड़ से अधिक बैंक खाते खोले गए, जिससे देश के करोड़ों लोग पहली बार औपचारिक बैंकिंग प्रणाली से जुड़े। दूसरा, आधार, जिसने 30 जून, 2025 तक 142 करोड़ से अधिक नागरिकों को एक सुरक्षित डिजिटल पहचान प्रदान की। तीसरा, सस्ती कनेक्टिविटी, जहाँ भारत में 5G के तेजी से विस्तार और इंटरनेट डेटा की लागत में भारी गिरावट ने करोड़ों लोगों के लिए डिजिटल सेवाओं तक पहुंच को सुलभ बना दिया। इन तीनों ने मिलकर यूपीआई की सफलता की शानदार इमारत खड़ी की है।


यह डिजिटल-फर्स्ट इकोनॉमी आज सार्वजनिक डिजिटल बुनियादी ढांचे में नवाचार के लिए एक नया वैश्विक मानक स्थापित कर रही है।