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भारत की एयर डिफेंस क्षमता को मजबूत करने की दिशा में कदम

भारत ने पाकिस्तान में आतंकवादी ठिकानों पर ऑपरेशन ‘सिंदूर’ के तहत सफल हमले किए हैं, जिससे उसकी एयर डिफेंस क्षमताओं में वृद्धि हो रही है। इस ऑपरेशन के बाद, भारत S-400 और संभावित S-500 सिस्टम की खरीद पर विचार कर रहा है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का आगामी दौरा भी महत्वपूर्ण समझौतों का संकेत देता है। जानें इस संदर्भ में और क्या हो सकता है।
 

भारतीय वायुसेना का ऑपरेशन ‘सिंदूर’

सूचना स्रोत: पाकिस्तान में आतंकवादी ठिकानों पर भारतीय वायुसेना द्वारा किए गए बड़े ऑपरेशन ‘सिंदूर’ के बाद, भारत अपनी एयर डिफेंस क्षमताओं को और अधिक सुदृढ़ करने की योजना बना रहा है। यह ऑपरेशन मंगलवार की रात लगभग 1:05 बजे शुरू हुआ, जिसमें भारतीय लड़ाकू विमानों ने पाकिस्तान में स्थित 9 आतंकवादी ठिकानों पर सटीक हमले किए और उन्हें नष्ट कर दिया।


पाकिस्तान की प्रतिक्रिया

पाकिस्तान ने जवाबी कार्रवाई करते हुए हवाई हमले की कोशिश की, लेकिन भारतीय वायुसेना पूरी तरह से तैयार थी। इस दौरान, रूसी एयर डिफेंस सिस्टम S-400 ने पाकिस्तान के कई फाइटर जेट्स को निशाना बनाया। भारतीय एयरफोर्स के अनुसार, इस संघर्ष में कुल 6 पाकिस्तानी जेट गिराए गए, जिसमें S-400 की महत्वपूर्ण भूमिका रही।


S-400 और S-500 की खरीदारी

S-400 की सफलता के बाद, भारत अब रूस से इस सिस्टम की और यूनिट्स खरीदने के साथ-साथ इसके अपग्रेडेड वर्जन S-500 पर भी विचार कर सकता है। S-500 को दुनिया की सबसे उन्नत मिसाइल डिफेंस प्रणालियों में से एक माना जाता है, जो हाइपरसोनिक लक्ष्यों को भी नष्ट करने की क्षमता रखती है।


रूसी राष्ट्रपति का भारत दौरा

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन लगभग चार साल बाद भारत आ रहे हैं। इस यात्रा को दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। राजनयिक सूत्रों के अनुसार, इस दौरे के दौरान भारत और रूस के बीच 9 महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर हो सकते हैं, जिनमें रक्षा, ऊर्जा, व्यापार और अंतरिक्ष सहयोग से संबंधित बड़े करार शामिल होंगे।


भविष्य की संभावनाएँ

S-400 और S-500 से संबंधित संभावित रक्षा समझौता इस दौरे की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि वर्तमान सुरक्षा परिदृश्य को देखते हुए, भारत अपनी एयर डिफेंस श्रृंखला को और मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठा सकता है, और रूस इस क्षेत्र में भारत का सबसे विश्वसनीय साझेदार बनता जा रहा है।