भारत-पाकिस्तान के बीच जल विवाद: चिनाब नदी पर हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट को मिली मंजूरी
भारत और पाकिस्तान के बीच जल विवाद की नई परत
नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के बीच पहले से ही तनावपूर्ण संबंधों में एक बार फिर जल विवाद ने तूल पकड़ लिया है। जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में चिनाब नदी पर दुलहस्ती स्टेज-II हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट को मंजूरी मिलने के बाद पाकिस्तान में तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। पाकिस्तान पीपल्स पार्टी की सीनेटर शेरी रहमान ने इसे सिंधु जल संधि के सिद्धांत के खिलाफ बताते हुए गंभीर चेतावनी दी है।
शेरी रहमान की प्रतिक्रिया
शेरी रहमान ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में कहा कि 260 मेगावाट के दुलहस्ती स्टेज-II प्रोजेक्ट को मंजूरी देना भारत का एक गैर-जिम्मेदाराना कदम है। उनके अनुसार, यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया है जब सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया गया है और क्षेत्र पहले से ही अस्थिरता का सामना कर रहा है।
जल को हथियार बनाने का आरोप
रहमान ने यह भी कहा कि जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय दबाव झेल रहे इस क्षेत्र में पानी को हथियार के रूप में इस्तेमाल करना न केवल समझदारी से परे है, बल्कि यह स्वीकार्य भी नहीं है। उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसे कदम भारत और पाकिस्तान के बीच पहले से मौजूद अविश्वास और दुश्मनी को और बढ़ा सकते हैं, जिससे दक्षिण एशिया की शांति को खतरा हो सकता है।
पहलगाम हमले के बाद भारत का रुख
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई कड़े कदम उठाए थे, जिसमें 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित करना भी शामिल था। इसके बाद भारत ने सिंधु बेसिन में लंबित और नए हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट्स पर तेजी से आगे बढ़ने का संकेत दिया, जिसे पाकिस्तान संदेह की नजर से देख रहा है।
सिंधु जल संधि का ऐतिहासिक संदर्भ
विश्व बैंक की मध्यस्थता से बनी सिंधु जल संधि 1960 से दोनों देशों के बीच नदी जल बंटवारे का आधार रही है। इस संधि के तहत पाकिस्तान को सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों का अधिकार मिला था, जबकि भारत रावी, ब्यास और सतलुज नदियों का उपयोग करता रहा है। दशकों तक संघर्षों के बावजूद इस संधि को स्थिर माना जाता था।
भारत की जल परियोजनाएं
संधि के निलंबन के बाद भारत सावलकोट, रतले, बुरसर, पाकल दुल, क्वार, किरू और कीरथाई जैसी कई परियोजनाओं पर काम कर रहा है। दुलहस्ती स्टेज-II मौजूदा 390 मेगावाट दुलहस्ती परियोजना का विस्तार है, जिसे 2007 से सफलतापूर्वक संचालित किया जा रहा है।