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भारत में गरीबी उन्मूलन: मोदी सरकार की ऐतिहासिक उपलब्धि

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने पिछले एक दशक में भारत में गरीबी उन्मूलन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है। वर्ल्ड बैंक के आंकड़ों के अनुसार, अत्यधिक गरीबी दर में भारी गिरावट आई है, जिससे करोड़ों लोग गरीबी के जाल से बाहर निकल आए हैं। यह लेख इस सफलता के पीछे के कारणों, विभिन्न राज्यों की भूमिका और केंद्र सरकार की योजनाओं पर प्रकाश डालता है। जानें कैसे भारत ने इस दिशा में ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल की हैं।
 

भारत में गरीबी उन्मूलन की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने पिछले दस वर्षों में गरीबी उन्मूलन के क्षेत्र में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है। हाल ही में वर्ल्ड बैंक द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, देश की अत्यधिक गरीबी दर 2011-12 में 27.1% से घटकर 2022-23 में केवल 5.3% रह गई है। इस दौरान, अत्यधिक गरीबी में रहने वाले लोगों की संख्या 344.47 मिलियन से घटकर 75.24 मिलियन हो गई है, जिससे 269 मिलियन लोग गरीबी के चक्र से बाहर निकल आए हैं। यह गिरावट भारत की नीतियों और समावेशी विकास के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है.


गरीबी मापने का पैमाना

वर्ल्ड बैंक के अनुसार, इस प्रगति का मूल्यांकन $3.00 प्रतिदिन की अंतरराष्ट्रीय गरीबी रेखा (2021 के मूल्य पर) के आधार पर किया गया है। यह गिरावट ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में देखी गई है, जो भारत में संतुलित आर्थिक विकास का संकेत है। यदि हम $2.15 प्रतिदिन की गरीबी रेखा (2017 के मूल्य पर) को देखें, तो 2011-12 में 16.2% भारतीय अत्यधिक गरीबी में थे, जबकि 2022-23 में यह संख्या घटकर केवल 2.3% रह गई है। इस आधार पर 172.27 मिलियन लोग अत्यधिक गरीबी से बाहर निकले हैं.


गांव और शहर- दोनों में कम हुई गरीबी

वर्ल्ड बैंक के आंकड़ों के अनुसार, ग्रामीण भारत में अत्यधिक गरीबी दर 18.4% से घटकर 2.8% हो गई है, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 10.7% से घटकर 1.1% रह गई है। यह दर्शाता है कि आर्थिक विकास का लाभ केवल महानगरों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि गांवों और दूरदराज के क्षेत्रों तक भी पहुंचा है.


पांच राज्यों की बड़ी भूमिका

उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश- ये पांच राज्य 2011-12 में देश की अत्यधिक गरीब आबादी के 65% के लिए जिम्मेदार थे। इन राज्यों ने 2022-23 तक गरीबी में आई कुल गिरावट में दो-तिहाई का योगदान दिया, जो नीति-निर्धारण और राज्यों की साझेदारी की सफलता को दर्शाता है.


बहुआयामी गरीबी में भी बड़ी गिरावट

आय के अलावा, शिक्षा, स्वास्थ्य और जीवन स्तर जैसे मानकों को ध्यान में रखते हुए बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) में भी गिरावट देखी गई है। MPI 2005-06 में 53.8% था, जो 2019-21 में घटकर 16.4% और फिर 2022-23 में और घटकर 15.5% पर पहुंच गया है.


11 सालों में केंद्र सरकार के प्रयासों का असर

जैसे ही केंद्र में बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार अपने 11 साल पूरे कर रही है, प्रधानमंत्री मोदी ने गरीबी उन्मूलन की दिशा में उठाए गए महत्वपूर्ण कदमों को रेखांकित किया। जन-कल्याण के लिए उठाए गए कदमों में पीएम आवास योजना, उज्ज्वला योजना, जन धन योजना और आयुष्मान भारत जैसी योजनाएं शामिल हैं, जिन्होंने करोड़ों लोगों को बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं। डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT), डिजिटल समावेशन और मजबूत ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर ने अंतिम व्यक्ति तक योजनाओं का लाभ पहुंचाया है। 25 करोड़ से अधिक लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर उठाने में ये पहलकदमी निर्णायक साबित हुई हैं.