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भारत में प्राइवेसी पर खतरा: संचार साथी ऐप की अनिवार्यता पर चिंता

भारत में संचार साथी ऐप को अनिवार्य करने के सरकार के निर्णय ने प्राइवेसी के अधिकारों को लेकर चिंता बढ़ा दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम एक ऐसे समाज की ओर ले जा सकता है, जहां व्यक्तिगत गोपनीयता का कोई स्थान नहीं होगा। इसके अलावा, संदेश सेवा को सिम कार्ड से जोड़ने के नए निर्देश भी उपयोगकर्ताओं के लिए समस्याएं पैदा कर सकते हैं। क्या यह निर्णय संविधान द्वारा प्रदत्त स्वतंत्रताओं को खतरे में डाल रहा है? जानें इस मुद्दे पर विस्तृत जानकारी।
 

सार्वजनिक बहस के बिना निर्णय

बिना किसी सार्वजनिक चर्चा के ऐसे निर्णय लिए जा रहे हैं, जिससे यह आशंका बढ़ रही है कि भारत को एक ऐसे समाज में बदला जा रहा है, जहां व्यक्तियों की प्राइवेसी का कोई महत्व नहीं होगा।


संचार साथी ऐप की अनिवार्यता

हर स्मार्टफोन में संचार साथी ऐप को अनिवार्य करने के निर्देश से जागरूक नागरिकों में चिंता उत्पन्न हुई है। सरकार का दावा है कि यह ऐप खोए हुए फोन को ट्रैक करने में मदद करेगा। हालांकि, यह विचार कि इस ऐप को फोन में रखना अनिवार्य होगा, गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है। यह ऐप फोन के ऑपरेटिंग सिस्टम का हिस्सा होगा और इसे हटाया नहीं जा सकेगा। इंटरनेट पर प्राइवेसी के अधिकार के लिए काम कर रहे कार्यकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार इस ऐप को अनिवार्य बनाती है, तो भविष्य में डिजिटल आईडी ऐप को भी अनिवार्य बनाने का रास्ता खुल सकता है। इस स्थिति में, सरकार फोन से संबंधित सभी गतिविधियों की निगरानी कर सकेगी।


संदेश सेवा पर नए निर्देश

संचार साथी ऐप के निर्देश जारी करने से पहले, सरकार ने इंटरनेट सेवा प्रदाताओं को संदेश ऐप को सिम कार्ड से अनिवार्य रूप से जोड़ने का आदेश दिया। इसके परिणामस्वरूप, 90 दिन की समयसीमा के बाद, व्हाट्सएप या टेलीग्राम जैसे ऐप्स को एक साथ दो फोन या टैबलेट पर उपयोग नहीं किया जा सकेगा। इससे संदेश सेवा के उपयोग में बाधा उत्पन्न होगी। यह निर्णय बिना किसी सार्वजनिक चर्चा के लागू किया जा रहा है, जिससे यह चिंता बढ़ रही है कि भारत को एक ऐसे समाज में बदला जा रहा है, जहां प्राइवेसी का कोई स्थान नहीं होगा। पहले फोन को व्यक्तिगत स्थान माना जाता था, लेकिन अब इस धारणा को चुनौती दी जा रही है। इसलिए, सरकार को चाहिए कि वह अपने हालिया निर्देश को वापस ले, अन्यथा यह सवाल उठेगा कि क्या भारत में संविधान द्वारा प्रदत्त स्वतंत्रताओं का कोई मूल्य रह गया है?