भारत-रूस संबंधों में नई गहराई: पुतिन की संभावित यात्रा से पहले महत्वपूर्ण बैठकें
भारत और रूस के बीच कूटनीतिक गतिविधियाँ
हाल ही में भारत और रूस के बीच हुई कूटनीतिक गतिविधियों ने वैश्विक स्तर पर नई चर्चाएँ शुरू कर दी हैं। विदेश मंत्री एस. जयशंकर वर्तमान में रूस के दौरे पर हैं, जहाँ उन्होंने मॉस्को में रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ विस्तृत चर्चा की। इसी समय, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के प्रमुख सलाहकार निकोलाय पत्रुशेव भारत आए और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से मुलाकात की। इन बैठकों को पुतिन की संभावित भारत यात्रा से पहले महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
भारत-रूस शिखर सम्मेलन की तैयारी
जयशंकर और लावरोव के बीच हुई बातचीत में पुतिन की आगामी भारत यात्रा और 23वें वार्षिक भारत-रूस शिखर सम्मेलन की तैयारियों पर विशेष ध्यान दिया गया। दोनों देशों के बीच लंबित समझौतों, ऊर्जा सहयोग, रक्षा साझेदारी और रणनीतिक परियोजनाओं पर तेजी से प्रगति करने की आवश्यकता पर चर्चा हुई। इसके अलावा, यूक्रेन युद्ध, मध्य पूर्व और अफगानिस्तान की स्थिति जैसे वैश्विक मुद्दों पर भी विचार-विमर्श किया गया। जयशंकर ने यह स्पष्ट किया कि भारत हमेशा संघर्ष विराम और स्थायी शांति का समर्थन करेगा।
सुरक्षा सहयोग और ऊर्जा आपूर्ति पर चर्चा
पत्रुशेव और डोभाल की बैठक में सुरक्षा सहयोग, ऊर्जा आपूर्ति, रक्षा उत्पादन, क्षेत्रीय स्थिरता और पुतिन की यात्रा के एजेंडे पर गहन चर्चा हुई। पत्रुशेव को पुतिन का सबसे विश्वसनीय सलाहकार माना जाता है, और उनकी भारत यात्रा यह दर्शाती है कि रूस पुतिन के दौरे से पहले सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर स्पष्टता चाहता है।
अमेरिका की नजरें
इन उच्च स्तरीय बैठकों पर अमेरिका की भी नजर है। इस समय जब भारत और अमेरिका के बीच बड़े पैमाने पर व्यापार और गैस डील अंतिम चरण में है, भारत द्वारा रूस के साथ बढ़ती कूटनीतिक गतिविधियाँ वॉशिंगटन की नजरों से बच नहीं सकतीं। अमेरिका चाहता है कि भारत रूस से दूरी बनाए, जबकि रूस नहीं चाहता कि भारत पश्चिमी देशों के करीब जाए। लेकिन भारत ने स्पष्ट संकेत दिया है कि वह अपनी विदेश नीति राष्ट्रीय हितों के आधार पर चलाएगा।
भारत का रूस के प्रति भरोसा
रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच, भारत रूस के लिए एक भरोसेमंद साझेदार बना हुआ है। वहीं, भारत के लिए रूस ऊर्जा आपूर्ति, रक्षा तकनीक और संयुक्त राष्ट्र में समर्थन का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। यही कारण है कि भारत दोनों महाशक्तियों अमेरिका और रूस के साथ संतुलित रिश्ते बनाए रखने की अपनी रणनीति पर कायम है।
पुतिन की प्रस्तावित भारत यात्रा
पुतिन का प्रस्तावित भारत दौरा कई मायनों में महत्वपूर्ण रहने वाला है। इस दौरान ऊर्जा, गैस आपूर्ति, नए रक्षा प्रोजेक्ट, को-प्रोडक्शन मॉडल और रुपए-रूबल भुगतान प्रणाली पर बड़े निर्णय लिए जा सकते हैं। यह पुतिन की 2021 के बाद पहली भारत यात्रा होगी और यूक्रेन युद्ध के बीच उनके कुछ गिने-चुने विदेशी दौरों में से एक है।