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भारतीय नौसेना की समुद्री सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका

भारत की नौसेना ने समुद्री सुरक्षा में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर किया है, जिसमें वेस्टर्न अरब सागर में बढ़ते खतरों का सामना करना शामिल है। भारतीय प्रतिनिधि पर्वतनेनी हरीश ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में इस विषय पर चर्चा की, जिसमें समुद्री डकैती और अन्य खतरों के खिलाफ भारतीय नौसेना की सक्रियता और उपलब्धियों का उल्लेख किया गया। उन्होंने जेंडर समानता और समुद्री क्षेत्र में भारत के दृष्टिकोण पर भी प्रकाश डाला।
 

समुद्री सुरक्षा पर संयुक्त राष्ट्र में भारत का योगदान


नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में समुद्री सुरक्षा पर आयोजित एक महत्वपूर्ण सेशन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पर्वतनेनी हरीश ने वेस्टर्न अरब सागर में बढ़ते समुद्री खतरों के बीच भारतीय नौसेना की निर्णायक और प्रभावशाली भूमिका को मजबूती से सामने रखा.


ग्रीस, फिलीपींस, डेनमार्क, जापान, पनामा और रोमानिया द्वारा सह-आयोजित इस बैठक में हरीश ने बताया कि मौजूदा समय में समुद्री डकैती, ड्रोन हमलों और जहाजों पर सामरिक हमलों जैसी घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं. ऐसे में इंडियन नेवी ने न केवल सक्रिय उपस्थिति दर्ज कराई है, बल्कि संकटग्रस्त नाविकों और जहाज़ों को बचाने में भी बड़ी जिम्मेदारी निभाई है.


इंडियन नेवी की तैनाती और उपलब्धियां

हरीश ने बताया कि पिछले दो वर्षों में वेस्टर्न अरब सागर में 35 से अधिक नौसैनिक जहाज़ तैनात किए गए और इंडियन नेवी ने 1000 से ज़्यादा बोर्डिंग ऑपरेशन्स किए हैं. उन्होंने कहा कि अलग-अलग संकटों में 35 से अधिक घटनाओं का सफलतापूर्वक जवाब दिया है, जबकि अब तक 520 से ज्यादा लोगों की जान बचाई गई, जिनकी राष्ट्रीयता कोई भी रही हो. उन्होंने कहा कि इंडियन नेवी की तेज प्रतिक्रिया और जोखिम उठाने वाली टीमों ने अनेक बार बड़े समुद्री हादसों को होने से रोका है.


व्यापारिक जहाजों की सुरक्षा सुनिश्चित

नवंबर 2023 से भारतीय नौसेना ने 367 से अधिक मर्चेंट शिप को सुरक्षित एस्कॉर्ट किया है. इन जहाजों पर 14.7 मिलियन मीट्रिक टन से अधिक कार्गो था. इसकी कुल कीमत 6.3 बिलियन डॉलर से ज़्यादा बताई गई. ये आंकड़े दिखाते हैं कि इंडियन नेवी न केवल भारतीय जहाजों बल्कि पूरी दुनिया की समुद्री आपूर्ति श्रृंखला की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है.


समुद्री अस्थिरता के बीच भारत की भूमिका

यह बैठक ऐसे समय में हुई जब रेड सी में हूथी हमलों, सोमालिया के पास बढ़ती पायरेसी और अन्य समुद्री तनावों ने अंतरराष्ट्रीय शिपिंग लेन को बड़ा खतरा बना दिया है.


हरीश ने इन्फॉर्मेशन फ्यूजन सेंटर इंडियन ओसियन रीजन (IFC-IOR) की भूमिका पर भी प्रकाश डाला, जो कई देशों के साथ रियल-टाइम समुद्री सूचना साझा करता है और सामूहिक सुरक्षा को मजबूत बनाता है.


जेंडर इक्वालिटी और 'सागर में सम्मान' पहल

भारतीय प्रतिनिधि ने बताया कि भारत मेरीटाइम इंडिया विजन 2030 के तहत समुद्री क्षेत्र में जेंडर संवेदनशील नीतियों को बढ़ावा दे रहा है. उन्होंने सभी महिला शिप क्रू की तैनाती को भारतीय समुद्री नीतियों में प्रगतिशील बदलाव का उदाहरण बताया.


भारत का 'महासागर' विजन

हरीश ने कहा कि भारत क्षेत्रीय और वैश्विक सहयोग के माध्यम से समुद्री सुरक्षा, जेंडर समानता और नाविकों के जीवन की गुणवत्ता सुधारने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है. उन्होंने इन सभी प्रयासों को भारत की व्यापक सोच व महासागर क्षेत्रों में सुरक्षा और विकास के लिए आपसी और समग्र तरक्की से जोड़ते हुए अपना संबोधन पूरा किया.