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मसूद अजहर का पुनरुत्थान: पाकिस्तान की नई रणनीति और महिला विंग की स्थापना

पाकिस्तान में जैश-ए-मोहम्मद के नेता मसूद अजहर की हालिया वापसी ने सुरक्षा विशेषज्ञों को चिंतित कर दिया है। उन्होंने संगठन को पुनर्जीवित करने और नई भर्तियों की घोषणा की है, जिसमें महिला विंग की स्थापना भी शामिल है। यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है जब पाकिस्तान की सेना और आईएसआई ने उन पर भरोसा जताया है। क्या यह पाकिस्तान की नई कूटनीतिक चाल है? जानें इस लेख में।
 

मसूद अजहर की वापसी


नई दिल्ली: पाकिस्तान में जैश-ए-मोहम्मद के नेता मसूद अजहर एक बार फिर चर्चा में हैं। लंबे समय तक छिपे रहने के बाद, वह हाल के दिनों में सार्वजनिक रूप से सामने आए हैं। उन्होंने संगठन को पुनर्जीवित करने, नई भर्तियों की शुरुआत करने और जिहाद को बढ़ावा देने की बात की है। यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है जब पाकिस्तान की सेना और आईएसआई ने उन पर फिर से भरोसा जताया है।


जैश-ए-मोहम्मद का पुनरुत्थान

सूत्रों के अनुसार, जैश-ए-मोहम्मद के पुनरुत्थान के पीछे पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर और आईएसआई की रणनीति है। हाल ही में भारत द्वारा बहावलपुर में किए गए ऑपरेशन सिंदूर में जैश के कई ठिकाने नष्ट हो गए थे, जिससे मसूद अजहर के परिवार के कुछ सदस्य भी मारे गए थे। इस झटके के बाद पाकिस्तान को चिंता थी कि जैश की शक्ति और भय समाप्त न हो जाए, इसलिए मसूद को फिर से सामने लाया गया।


महिला विंग की स्थापना

महिला विंग की घोषणा का उद्देश्य


मसूद अजहर ने हाल ही में अपने संगठन के लिए महिला विंग की भी घोषणा की है, जिसकी जिम्मेदारी उसकी बहन सादिया अजहर को सौंपी गई है। इसका उद्देश्य भारत की महिलाओं को लक्षित करके आतंकवादी विचारधारा का प्रचार करना बताया जा रहा है। खुफिया एजेंसियों का मानना है कि मसूद के ये संदेश केवल जैश के सदस्यों के लिए नहीं हैं, बल्कि भारत और पश्चिमी देशों के लिए भी एक चेतावनी हैं कि पाकिस्तान का संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ है।


पाकिस्तान की नई कूटनीतिक चाल

क्या है नई रणनीति?


सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि मसूद अजहर का दोबारा सक्रिय होना पाकिस्तान की नई कूटनीतिक चाल है। अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों में सुधार के बीच, इस्लामाबाद को लगता है कि वह अब बिना किसी बड़े अंतरराष्ट्रीय दबाव के कश्मीर में फिर से आतंकवाद को बढ़ावा दे सकता है। यही कारण है कि जैश के पुराने नेटवर्क को पुनर्जीवित करने की कोशिशें तेज हो गई हैं। भारत के लिए यह स्थिति चिंताजनक है, और जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा एजेंसियां पहले से ही हाई अलर्ट पर हैं। यदि मसूद अजहर को पाकिस्तान का समर्थन मिलता रहा, तो सीमापार से आतंकवादी गतिविधियों में फिर से वृद्धि हो सकती है।