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रूस ने ट्रंप की नई सुरक्षा रणनीति का किया स्वागत

रूस ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति का स्वागत किया है, जो दोनों देशों के बीच सहयोग की नई संभावनाएँ प्रस्तुत करती है। इस रणनीति में 'फ्लेक्सिबल रियलिज्म' की अवधारणा और नाटो के विस्तार पर विचार शामिल हैं। क्रेमलिन ने इसे सकारात्मक बदलाव बताया है, जबकि ट्रंप ने रूस और चीन के एक साथ आने को दुनिया के लिए हानिकारक बताया। जानें इस रणनीति के प्रमुख बिंदुओं और रूस-अमेरिका संबंधों पर इसके प्रभाव के बारे में।
 

रूस का समर्थन


नई दिल्ली: रूस ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हालिया राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति का स्वागत किया है। क्रेमलिन के अनुसार, यह रणनीति रूस की सोच के अनुरूप है। शीत युद्ध के बाद पहली बार, रूस ने किसी अमेरिकी रणनीति दस्तावेज को इस तरह से समर्थन दिया है। ट्रंप की योजना में 'फ्लेक्सिबल रियलिज्म' की अवधारणा शामिल है और मोनरो डॉक्ट्रिन को पुनर्जीवित करने का सुझाव दिया गया है, जिसमें अमेरिका पश्चिमी गोलार्ध को अपने प्रभाव क्षेत्र के रूप में देखता है।


रणनीति की चेतावनियाँ

इस रणनीति दस्तावेज में यह भी उल्लेख किया गया है कि यूरोप को 'सभ्यता के समाप्त होने' का खतरा है। इसके अलावा, यह कहा गया है कि यूक्रेन युद्ध का समाधान बातचीत के माध्यम से होना चाहिए, जो अमेरिकी हित का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। रणनीति में अमेरिका और रूस के बीच रणनीतिक स्थिरता को पुनर्स्थापित करने का भी लक्ष्य रखा गया है। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा कि दस्तावेज में जिन परिवर्तनों का उल्लेख है, वे कई मामलों में रूस की दृष्टि के अनुरूप हैं।


पेसकोव की टिप्पणियाँ

क्रेमलिन के प्रवक्ता ने आगे क्या कहा?


पेसकोव ने नाटो के विस्तार पर अमेरिकी रणनीति में दिए गए बयान का स्वागत किया। रणनीति में कहा गया है कि नाटो को 'हमेशा विस्तार करते रहने वाले सैन्य गठबंधन' की धारणा को समाप्त किया जाना चाहिए। पेसकोव ने इसे सकारात्मक बताया। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अमेरिका की 'डीप स्टेट' की सोच ट्रंप की सोच से भिन्न है और वह वैश्विक मुद्दों को अलग नजरिये से देखती है।


असाधारण सहमति

रूस और अमेरिका के बीच यह सहमति असाधारण है, क्योंकि 2014 में क्रीमिया के अधिग्रहण और 2022 में यूक्रेन पर हमले के बाद अमेरिकी रणनीति दस्तावेज ने रूस को हमेशा एक अस्थिर करने वाली शक्ति के रूप में प्रस्तुत किया है। लेकिन पेसकोव ने कहा कि रूस को सीधे खतरे के रूप में देखने के बजाय रणनीतिक स्थिरता पर सहयोग की बात करना एक सकारात्मक बदलाव है।


ट्रंप की इंडो-पैसिफिक रणनीति

क्या है ट्रंप की इंडो-पैसिफिक रणनीति?


इस रणनीति में इंडो-पैसिफिक को आर्थिक और भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा का मुख्य क्षेत्र बताया गया है। इसमें कहा गया है कि अमेरिका और उसके सहयोगी चीन के साथ संघर्ष को रोकने के लिए अपनी सैन्य क्षमताओं को मजबूत करेंगे। दूसरी ओर, रूस, जो यूक्रेन युद्ध के कारण भारी प्रतिबंधों का सामना कर रहा है, चीन के साथ अपने संबंधों को मजबूत कर रहा है।


ट्रंप का दृष्टिकोण

ट्रंप ने रूस और चीन को लेकर क्या कहा?


मार्च में एक साक्षात्कार में, ट्रंप ने कहा था कि रूस और चीन का एक साथ आना दुनिया के लिए हानिकारक हो सकता है। इससे पहले, अमेरिका और रूस केवल कुछ अवसरों पर वैश्विक मुद्दों पर सहमत हुए थे। शीत युद्ध के दौरान दोनों देशों के रिश्ते बेहद तनावपूर्ण थे। 1991 में सोवियत संघ के टूटने के बाद सहयोग की उम्मीदें जगीं, लेकिन बाद के वर्षों में नाटो विस्तार और रूस की नीतियों ने तनाव को बढ़ा दिया।