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लंदन में बांग्लादेशी हिंदुओं के खिलाफ अत्याचारों के विरोध में बड़ा प्रदर्शन

लंदन में बांग्लादेश उच्चायोग के बाहर हिंदुओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों के विरोध में एक बड़ा प्रदर्शन हुआ। सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने दीपू चंद्र दास की हत्या के खिलाफ आवाज उठाई और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की मांग की। हालांकि, खालिस्तानी समर्थकों के जवाबी प्रदर्शन ने माहौल को तनावपूर्ण बना दिया। जानें इस घटना के बारे में और प्रदर्शनकारियों की चिंताओं के बारे में।
 

लंदन में बांग्लादेश उच्चायोग के बाहर प्रदर्शन


लंदन: बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के खिलाफ हो रहे कथित अत्याचारों और हाल ही में दीपू चंद्र दास की लिंचिंग के विरोध में शनिवार को लंदन में बांग्लादेश उच्चायोग के बाहर एक बड़ा प्रदर्शन आयोजित किया गया। इस प्रदर्शन में सैकड़ों हिंदू, जिनमें बांग्लादेशी और भारतीय मूल के प्रवासी शामिल थे, ने भाग लिया। प्रदर्शन पूरी तरह से शांतिपूर्ण था, लेकिन खालिस्तानी समर्थकों के जवाबी प्रदर्शन ने कुछ समय के लिए माहौल को तनावपूर्ण बना दिया।


दीपू चंद्र दास की हत्या पर प्रदर्शन

दीपू चंद्र दास, जो बांग्लादेश के मयमनसिंह जिले में एक कपड़ा फैक्ट्री में काम करते थे, की 18 दिसंबर को बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। इस घटना के खिलाफ लंदन में 500 से अधिक लोग एकत्र हुए और बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रहे उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाई। प्रदर्शनकारियों ने "हिंदुओं का जीवन मायने रखता है" जैसे नारे लगाए और न्याय की मांग की।


प्रदर्शन में शामिल लोगों की मांगें

प्रदर्शनकारियों ने दीपू दास को न्याय दिलाने, बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी का विरोध किया। एक डिजिटल वैन भी प्रदर्शन स्थल पर मौजूद थी, जिस पर "हिंदुओं को जीने का अधिकार है" जैसे संदेश प्रदर्शित किए जा रहे थे।


खालिस्तानी समर्थकों की एंट्री

यह प्रदर्शन बंगाली हिंदू आदर्श संघ (यूके) द्वारा आयोजित किया गया था और इसे शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न किया गया। प्रदर्शनकारी बांग्लादेश उच्चायोग से कुछ दूरी पर बैरिकेड्स के पीछे खड़े थे। हालांकि, कुछ समय बाद करीब 10 खालिस्तानी समर्थक पीले झंडे लेकर उच्चायोग के सामने पहुंच गए और भारत विरोधी नारे लगाने लगे। पुलिस को स्थिति को नियंत्रित करने के लिए हस्तक्षेप करना पड़ा।


प्रदर्शनकारियों की चिंताएं

प्रदर्शन के आयोजकों में से एक प्रज्ज्वल बिस्वास ने कहा कि उन्हें समझ नहीं आता कि खालिस्तानी इस मुद्दे में क्यों शामिल हुए। उनका कहना था कि यह प्रदर्शन केवल बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ था। बांग्लादेश में जन्मी शुचिष्मिता ने कहा कि हिंदुओं पर अत्याचार कोई नई बात नहीं है, लेकिन इस पर न तो मीडिया ध्यान देता है और न ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा होती है।