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लंदन में भारतीय युवक को नस्लीय भेदभाव के मामले में मिली बड़ी कानूनी जीत

लंदन की अदालत ने एक भारतीय युवक को नस्लीय भेदभाव और अनुचित नौकरी से हटाने के मामले में 66,800 पाउंड का मुआवजा देने का आदेश दिया है। यह मामला प्रवासी कर्मचारियों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठाता है। जानें कैसे माधेश रविचंद्रन ने अपने अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी और अदालत ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया।
 

लंदन की अदालत का फैसला

नई दिल्ली: लंदन की एक अदालत ने नस्लीय भेदभाव और अनुचित तरीके से नौकरी से हटाए जाने के मामले में एक भारतीय नागरिक के पक्ष में निर्णय दिया है, जिसके तहत उसे लगभग 66,800 पाउंड का मुआवजा मिलेगा। ब्रिटेन में कार्यरत एक भारतीय युवक को नस्लीय भेदभाव और गलत तरीके से नौकरी से निकालने के मामले में महत्वपूर्ण कानूनी सफलता मिली है।


प्रवासी कर्मचारियों की सुरक्षा पर चिंता

रोजगार न्यायाधिकरण ने लंदन स्थित केएफसी आउटलेट के खिलाफ निर्णय सुनाते हुए भारतीय कर्मचारी को भारी मुआवजा देने का आदेश दिया। यह मामला कार्यस्थल पर नस्लवाद, मानसिक उत्पीड़न और कर्मचारियों के अधिकारों से संबंधित है, जिसने ब्रिटेन में काम कर रहे प्रवासी कर्मचारियों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठाए हैं।


माधेश रविचंद्रन का परिचय

माधेश रविचंद्रन तमिलनाडु के निवासी हैं और जनवरी 2023 में लंदन के वेस्ट विकहम क्षेत्र में केएफसी आउटलेट में कार्यरत हुए। उनकी नियुक्ति सीधे उनके प्रबंधक काजन द्वारा की गई थी। प्रारंभ में सब कुछ सामान्य था, लेकिन कुछ समय बाद उनके साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार शुरू हो गया, जिसने स्थिति को गंभीर बना दिया।


भेदभाव के आरोप

रविचंद्रन ने अदालत में बताया कि उनके श्रीलंकाई मूल के प्रबंधक ने उनके साथ नस्ल के आधार पर भेदभाव किया। उन पर 'गुलाम' जैसे अपमानजनक शब्दों का प्रयोग किया गया और उनकी छुट्टी की मांग को यह कहकर खारिज कर दिया गया कि वह भारतीय हैं, जबकि श्रीलंकाई तमिल कर्मचारियों को प्राथमिकता दी गई।


काम का दबाव और इस्तीफा

जुलाई 2023 में मामला और बिगड़ गया, जब प्रबंधक ने रविचंद्रन पर अत्यधिक घंटे काम करने का दबाव डाला। लगातार मानसिक तनाव के कारण उन्होंने नौकरी छोड़ने का निर्णय लिया। न्यायाधीश ने माना कि उनका इस्तीफा स्वेच्छा से नहीं, बल्कि प्रबंधक की निरंतर प्रताड़ना का परिणाम था।


नोटिस अवधि में अपमान

इस्तीफे के बाद भी समस्याएं समाप्त नहीं हुईं। फोन कॉल्स के दौरान प्रबंधक ने कथित तौर पर उन्हें नस्लीय गालियां दीं और धमकाया। अदालत ने माना कि इस व्यवहार ने उनकी गरिमा को ठेस पहुंचाई। नोटिस अवधि समाप्त होने से पहले ही उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया, जो कानून के खिलाफ था।


अदालत का निर्णय और निर्देश

रोजगार न्यायाधिकरण ने रविचंद्रन के पक्ष में फैसला सुनाते हुए लगभग 66,800 पाउंड का मुआवजा देने का आदेश दिया। छुट्टियों और अन्य अधिकारों की राशि जोड़ने पर कुल रकम लगभग 66,800 पाउंड यानी करीब 70 लाख रुपये बनती है। अदालत ने केएफसी आउटलेट संचालित करने वाली कंपनी को कर्मचारियों के लिए नस्लीय भेदभाव से संबंधित प्रशिक्षण कार्यक्रम छह महीने में लागू करने का भी निर्देश दिया।