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लखनऊ में ब्रह्मोस मिसाइल की पहली खेप का फ्लैग ऑफ, आत्मनिर्भरता की नई दिशा

लखनऊ में ब्रह्मोस एयरोस्पेस यूनिट में निर्मित ब्रह्मोस मिसाइल की पहली खेप का फ्लैग ऑफ किया जाएगा। यह आयोजन भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता को नई दिशा देगा। जानें इस मिसाइल की विशेषताएँ और इसके निर्माण से होने वाले लाभ।
 

ब्रह्मोस मिसाइल का ऐतिहासिक लॉन्च


लखनऊ, उत्तर प्रदेश, रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर स्थापित करने जा रहा है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शनिवार को सरोजिनी नगर स्थित ब्रह्मोस एयरोस्पेस यूनिट में निर्मित ब्रह्मोस मिसाइल की पहली खेप को झंडी दिखाएंगे। यह घटना न केवल उत्तर प्रदेश के लिए, बल्कि भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को भी नई ऊर्जा प्रदान करेगी। सरकार ने यूपी डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर में इस यूनिट के लिए 80 एकड़ भूमि मुफ्त में आवंटित की थी।


जानकारी के अनुसार, ब्रह्मोस यूनिट से हर वर्ष 80 से 100 मिसाइलों का उत्पादन करने का लक्ष्य रखा गया है। इस यूनिट के शुरू होने से रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और स्थानीय उद्योगों तथा तकनीकी अनुसंधान को भी बढ़ावा मिलेगा। ब्रह्मोस, जो दुनिया की सबसे शक्तिशाली सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइलों में से एक मानी जाती है, को जमीन, हवा और समुद्र से लॉन्च किया जा सकता है। इसकी गति 2.8 से 3 मैक तक है और यह 400 से 800 किलोमीटर की दूरी तक सटीक निशाना लगाने में सक्षम है। इस आयोजन को भारत की रक्षा तकनीक में 'मेक इन इंडिया' की एक बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है।


ये परियोजनाएं न केवल स्थानीय रोजगार सृजन करेंगी, बल्कि रक्षा क्षेत्र में आयात प्रतिस्थापन और तकनीकी-आधारित उद्योग के विकास को भी गति देंगी। ब्रह्मोस यूनिट के निर्माण से यूपी डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर राष्ट्रीय रक्षा निर्माण का एक प्रमुख केंद्र बन सकता है।


ब्रह्मोस की विशेषताएँ


ब्रह्मोस, दुनिया की सबसे शक्तिशाली सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइलों में से एक है। यह ध्वनि की गति से लगभग 2.8 से 3 गुना तेज उड़ान भरती है और इसे जमीन, जल और वायु तीनों प्लेटफार्मों से लॉन्च किया जा सकता है। ब्रह्मोस अपने प्रक्षेप पथ को बदलने में सक्षम है और गतिशील लक्ष्यों को भी सटीकता से भेद सकती है।