लद्दाख में हिंसा: राज्य का दर्जा पाने की मांग पर प्रदर्शनकारियों का उग्र आंदोलन
लद्दाख में हिंसक प्रदर्शन
लद्दाख में हिंसा: केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर प्रदर्शनकारियों ने उग्र प्रदर्शन किए हैं, जिनमें पुलिस के साथ झड़पें भी हुईं। इस संघर्ष में चार लोगों की जान चली गई है और 70 से अधिक लोग घायल हुए हैं। प्रदर्शनकारियों ने स्थानीय भाजपा कार्यालय और एक वाहन को आग के हवाले कर दिया। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज किया। इसके बाद, केंद्रीय प्रशासन ने लेह में सभी विरोध प्रदर्शनों और सार्वजनिक सभाओं पर तुरंत प्रतिबंध लगा दिया है।
राज्य का दर्जा देने की मांग का आंदोलन
राज्य का दर्जा देने की मांग
यह आंदोलन लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) की युवा शाखा द्वारा चलाया जा रहा है, जो लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रही है। लद्दाख पहले जम्मू-कश्मीर का हिस्सा था, लेकिन 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद इसे केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया। तब से, लद्दाख के लोग राज्य का दर्जा प्राप्त करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने हिंसा के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा कि दंगे में शामिल एक व्यक्ति, अपर लेह वार्ड का कांग्रेस पार्षद फुंटसोग स्टैनजिन त्सेपाग, भीड़ को भड़काते हुए देखा गया।
सोनम वांगचुक की भूख हड़ताल का अंत
सोनम वांगचुक ने भूख हड़ताल समाप्त की
इस बीच, जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने 10 सितंबर से चल रही अपनी भूख हड़ताल को समाप्त कर दिया। उन्होंने अपने समर्थकों से अपील की कि वे हिंसा को रोकें। वांगचुक के नेतृत्व में भूख हड़ताल पर बैठे 15 लोगों में से दो की तबीयत बिगड़ गई थी, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। तनाव तब बढ़ गया जब कुछ युवाओं ने पथराव किया, जिससे पुलिस को सख्त कदम उठाने पड़े।
प्रदर्शनकारियों ने भाजपा कार्यालय के बाहर सुरक्षा वाहन को आग लगा दी। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त बल तैनात किए गए हैं। 6 अक्टूबर को केंद्र और लद्दाख के प्रतिनिधियों के बीच एक नई वार्ता होगी, लेकिन प्रदर्शनकारी इस तारीख को आगे बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।
सोनम वांगचुक ने कहा कि हिंसा का कोई लाभ नहीं है और प्रशासन से आंसू गैस के उपयोग को रोकने की मांग की। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि इस हिंसा में किसी की जान जाती है, तो भूख हड़ताल का उद्देश्य पूरा नहीं होगा। उन्होंने शांतिपूर्ण आंदोलन की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि उनका यह संदेश अभी तक सफल नहीं हो पाया है।