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शेख हसीना की शादी की सालगिरह पर सुनाई गई मौत की सजा: सोशल मीडिया पर बहस

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को 17 नवंबर को उनकी शादी की सालगिरह पर सुनाई गई मौत की सजा ने सोशल मीडिया पर नई बहस को जन्म दिया है। कई लोग इसे जानबूझकर तय की गई तारीख मानते हैं, जबकि अन्य इसे संयोग बताते हैं। इस लेख में हसीना की शादी, उनके जीवन और सजा की तारीख पर उठ रहे सवालों का विश्लेषण किया गया है।
 

शेख हसीना के लिए यादगार दिन


नई दिल्ली: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के लिए 17 नवंबर का दिन विशेष महत्व रखता है। यह दिन केवल इसलिए नहीं है कि उन्हें अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) द्वारा मौत की सजा सुनाई गई, बल्कि यह उनकी शादी की सालगिरह भी है।


58 वर्ष पूर्व, 17 नवंबर 1967 को, हसीना ने बांग्लादेश के प्रसिद्ध भौतिक विज्ञानी एम.ए. वाजेद मिया से विवाह किया था। अब इसी दिन सुनाई गई सजा ने सोशल मीडिया पर नई चर्चाओं को जन्म दिया है।


सोशल मीडिया पर सजा को लेकर बहस

सोशल मीडिया पर कई उपयोगकर्ता यह दावा कर रहे हैं कि जानबूझकर हसीना की शादी की सालगिरह को फैसले की तारीख के रूप में चुना गया। जानकारी के अनुसार, 23 अक्टूबर को सुनवाई समाप्त होने के बाद, मूलतः फैसला 14 नवंबर को सुनाया जाना था, लेकिन ICT ने 13 नवंबर को यह घोषणा की कि निर्णय 17 नवंबर को दिया जाएगा।


कुछ फेसबुक पेजों और समाचार प्लेटफार्मों ने इस तारीख को न्यायिक फैसले में व्यक्तिगत पहलू जोड़ने के रूप में देखा है। सेंट्रिस्ट नेशन टीवी ने भी फेसबुक पर लिखा कि 17 नवंबर हसीना के जीवन की एक महत्वपूर्ण तारीख है, जिसमें विवाह और मौत की सजा शामिल है। वहीं, द हेडलाइंस नामक एक संस्था ने कहा कि यह तारीख फैसले में व्यक्तिगत आयाम जोड़ती है।


हसीना की शादी का इतिहास

कब और किससे हुई थी हसीना की शादी?


शेख हसीना, जो बांग्लादेश के संस्थापक नेता शेख मुजीबुर रहमान की दूसरी संतान हैं, का विवाह वाजेद मिया से 1967 में हुआ था। वाजेद मिया बांग्लादेश परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष रह चुके हैं और उन्होंने भौतिकी और राजनीति पर कई पुस्तकें लिखी हैं। इस दांपत्य जीवन से उनके दो बच्चे हैं, सजीब वाजेद जॉय और साइमा वाजेद। हालांकि, 2009 में हसीना के प्रधानमंत्री बनने के कुछ समय बाद वाजेद मिया का निधन हो गया।


क्या सजा की तारीख में जानबूझकर बदलाव किया गया?

क्या सजा की तारीख जानबूझकर बदली गई?


सोशल मीडिया पर यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या वास्तव में तारीख को जानबूझकर बदला गया था। कई उपयोगकर्ताओं का आरोप है कि वर्तमान अंतरिम सरकार और ICT ने यह निर्णय संयोगवश नहीं लिया। कुछ पोस्टों में कहा गया कि डॉ. यूनुस ने जानबूझकर यह तारीख तय कराई, क्योंकि यह हसीना के लिए भावनात्मक रूप से महत्वपूर्ण है।


हालांकि, कुछ लोग इसे केवल एक संयोग मानते हैं और सोशल मीडिया की चर्चाओं को राजनीतिक शोर करार देते हैं। फैसले के बाद, अवामी लीग और हसीना ने आरोप लगाया कि यह मुकदमा धांधली और राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य अवामी लीग को कमजोर करना है। हसीना ने कहा कि उन्हें निष्पक्ष सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया और पूरा निर्णय पहले से तय था।