शेख हसीना को अंतर्राष्ट्रीय न्यायाधिकरण का बड़ा झटका: मानवता के खिलाफ अपराध का आरोप
अंतर्राष्ट्रीय न्यायाधिकरण का निर्णय
अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने 17 नवंबर को बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को मानवता के खिलाफ अपराध का दोषी ठहराया। यह निर्णय उस दिन आया जब हसीना अपनी शादी की सालगिरह मना रही थीं। न्यायाधिकरण ने यह भी कहा कि सुनवाई एकतरफा थी क्योंकि हसीना अदालत में उपस्थित नहीं हुईं। इस फैसले ने बांग्लादेश में राजनीतिक उथल-पुथल और जनता में तनाव को जन्म दिया।
शेख हसीना की प्रतिक्रिया
हसीना ने इस निर्णय को राजनीतिक प्रेरणा से भरा हुआ बताया और इसे खारिज कर दिया। तीन सदस्यीय पीठ द्वारा सुनाए गए इस फैसले ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बना दिया। हसीना का विवाह 1967 में हुआ था, जब उनके पिता शेख मुजीबुर रहमान जेल में थे। उनकी मां ने उनका विवाह परमाणु वैज्ञानिक एम.ए. वाजेद मिया से तय किया था। 2009 में वाजेद मिया के निधन तक वे दोनों साथ रहे। हसीना के दो बच्चे हैं, सजीब वाजेद जॉय और साइमा वाजेद पुतुल, और उनका परिवार बांग्लादेश की राजनीतिक पृष्ठभूमि से गहराई से जुड़ा हुआ है।
हसीना का राजनीतिक सफर
हसीना ने पांच बार प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। उनका पहला कार्यकाल 1996 में शुरू हुआ, और फिर 2009 से 2024 तक लगातार दो और कार्यकाल पूरे किए। जनवरी 2024 में वे फिर से निर्वाचित हुईं, लेकिन अगस्त 2024 में देशव्यापी हिंसक छात्र आंदोलन के दबाव में उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। यह आंदोलन छात्रों के आरक्षण सुधार के विरोध में शुरू हुआ था, लेकिन जल्द ही यह हिंसक हो गया और पूरे देश में आक्रोश फैल गया। पुलिस की कार्रवाई ने प्रदर्शन को और बढ़ा दिया और सरकार पर दबाव डाला।
अन्य आरोपी और सुनवाई का परिणाम
इस मामले में हसीना के अलावा पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान और पूर्व पुलिस प्रमुख अब्दुल्ला अल-मामून भी आरोपी थे। खान और हसीना देश छोड़कर चले गए, जबकि मामून ने गवाह बनकर सहयोग किया। मामून ने अदालत को बताया कि "घातक हथियारों" के इस्तेमाल के आदेश सीधे हसीना से आए थे। उनकी गवाही ने सजा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अदालत ने मामून को पांच साल की सजा सुनाई।
सुनवाई 23 अक्टूबर को समाप्त हुई थी और फैसला 14 नवंबर के लिए निर्धारित था, लेकिन इसे 17 नवंबर तक टाल दिया गया। यह संयोग से वही दिन था जब हसीना अपनी शादी की सालगिरह मना रही थीं। अदालत के इस निर्णय ने पूरे दक्षिण एशिया में राजनीतिक हलचल पैदा कर दी और इसे हाल के समय का सबसे बड़ा राजनीतिक झटका माना जा रहा है।