शेख हसीना ने मौत की सजा को बताया राजनीतिक प्रतिशोध का परिणाम
शेख हसीना का बयान
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने हाल ही में सुनाई गई मौत की सजा को सख्त शब्दों में खारिज किया है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय अंतरिम सरकार में मौजूद कट्टरपंथियों की 'हत्यारी मंशा' को दर्शाता है। हसीना ने इस फैसले पर अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा कि यह पूरी प्रक्रिया राजनीतिक प्रतिशोध से प्रेरित है और इससे उनका मनोबल प्रभावित नहीं होगा।
हसीना के आरोप
हसीना ने अपने बयान में आरोप लगाया कि अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) को एक अनिर्वाचित सरकार द्वारा स्थापित किया गया है, जिसका जनता से कोई लोकतांत्रिक जनादेश नहीं है। उन्होंने कहा कि इस न्यायाधिकरण का स्वभाव पक्षपाती है, जिससे उनके खिलाफ दिया गया फैसला न तो निष्पक्ष है और न ही विश्वसनीय। हसीना ने कहा, 'मृत्युदंड की मांग यह साबित करती है कि अंतरिम शासन में मौजूद उग्रवादी ताकतें बांग्लादेश के अंतिम निर्वाचित प्रधानमंत्री को समाप्त करना चाहती हैं और अवामी लीग को राजनीतिक परिदृश्य से हटाने का इरादा रखती हैं।'
मानवाधिकार हनन के आरोपों का खंडन
हसीना ने मानवाधिकार हनन के आरोपों को भी नकारते हुए अपने 15 साल के कार्यकाल की उपलब्धियों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि उनके नेतृत्व में देश ने आर्थिक प्रगति की है, शिक्षा और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं का विस्तार हुआ है, और लाखों लोग गरीबी से बाहर निकले हैं। उन्होंने यह भी बताया कि बांग्लादेश ने उनके शासन में अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय की सदस्यता प्राप्त की और म्यांमार से आए लाखों रोहिंग्या शरणार्थियों को सुरक्षा प्रदान की।
घरेलू संपत्तियों का जब्त होना
अदालत ने हसीना की सभी घरेलू संपत्तियों को जब्त करने का आदेश दिया है। इसी मामले में पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल को भी मौत की सजा सुनाई गई है, जबकि पूर्व पुलिस प्रमुख चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून को पांच साल की कैद की सजा दी गई है। यह घटनाक्रम उन छात्र आंदोलनों के बाद तेज हुआ, जो सरकारी नौकरियों में आरक्षण बहाल करने के अदालत के फैसले से शुरू हुए थे।
राजनीतिक विद्रोह का उभार
विरोध जल्द ही व्यापक राजनीतिक विद्रोह में बदल गया, और 5 अगस्त को प्रदर्शनकारियों ने ढाका में प्रधानमंत्री आवास में घुसकर तोड़फोड़ की। इसके बाद, हसीना देश छोड़कर भारत में शरण लेने को मजबूर हुईं। उनकी अनुपस्थिति में, नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ. मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बनी अंतरिम सरकार अब उनके खिलाफ मुकदमे चला रही है और अवामी लीग को अवैध घोषित कर चुकी है।